भोपाल । ये साल चुनावी है और चुनावी साल में विरोध जितना कम हो उतना अच्छा माना जाता है। नई शराब नीति से उमा भारती खुश है.प्रदेश के सभी शराब अहाते बंद किए जाएंगे। पुरानी शराब नीति के मुकाबले नई शराब नीति में कई ठोस निर्णय लिए गए जिसकी मांग लंबे समय से उठ रही थी। लेकिन कांग्रेस ये कह रही है कि गरीबों को शराब पीने के लिए अब बार जाना पड़ेगा और उनका ये फैसला पुरानी बोतल में नई शराब जैसी है। तो सवाल ये उठता है कि क्या शराब पर सियासी पासा फेंका गया है। इसमें बीजेपी की अभिलाषा क्या है..जानेंगे विस्तार से और होगी एक निष्पक्ष बहस..लेकिन पहले एक रिपोर्ट।
मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की प्रेशर पॉलिटिक्स का असर दिखा है। शिवराज कैबिनेट ने नई आबकारी नीति की घोषणा की है। इसके तहत अब अहाते बंद हो जाएंगे और शराब दुकानों में बैठकर शराब पीने पर मनाही होगी। इसके साथ ही शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थलों और गर्ल्स हॉस्टल के 100 मीटर के दायरे में शराब नहीं बिकेगी। नई शराब नीति के ऐलान पर उमा भारती बेहद खुश हैं, उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर इस फैसले को ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताया.. साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान की भी जमकर तारीफ की। उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इसे जनहित में लिया गया फैसला बता रहे हैं। वहीं सीएम शिवराज ने नशा को सामाजिक बुराई बताते हुए इस फैसले से अपराध और हादसों पर काबू पाने की उम्मीद जताई है।
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शिवराज सरकार के इस फैसले का कांग्रेस विरोध कर रही है।कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उमा भारती ने टोटल शराबबंदी की मांग की थी लेकिन नई नीति पुरानी बोतल में नई शराब जैसी है। लोग सड़कों पर शराबखोरी करें इसलिए आहते बंद कर दिए गए हैं। नई शराब नीति पर विपक्ष की इन आलोचनाओं के इतर शिवराज सरकार ने शराबबंदी की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया है। इसके साथ ही उमा भारती के बागी सुर अब तारीफ के कसीदे गढ़ रहे हैं।