Face to Face Madhya Pradesh: भोपाल: मप्र में राज्य शासन ने गुरु पूर्णिमा पर स्कूलों में शिक्षकों के वंदन का आदेश पारित किया है। मुस्लिम धर्म गुरु इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है। ऐसे में इस आयोजन से मुस्लिम छात्रों की आस्था को चोट पहुंचेगी। जबकि ये बात सब जानते हैं कि गुरु की वंदना हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा है। ये कोई धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि हमारे जीवन मूल्यों से जुड़ी परंपरा है। देखा जाए तो अपने गुरुओं को सम्मान देने की यही परंपरा हर संस्कृति में रही है, ऐसे में गुरु पर्व के विरोध का कारण समझ में नहीं आता। सवाल उठता है कि क्या हर मौके पर धर्म की आड़ में विरोध का झंडा उठाना जायज है?
मध्यप्रदेश में सूर्य नमस्कार और हिजाब के बाद अब गुरु पूर्णिमा पर बवाल शुरु हो गया है। दरअसल मध्यप्रदेश की सरकार ने ये तय किया है कि गुरु पूर्णिमा के दिन स्कूलों में विद्यार्थी सरस्वती वंदन करने के साथ ही गुरुओं का सम्मान करेंगे, लेकिन सरकार के इस फैसले का अब विरोध शुरु हो गया है। मुस्लिम स्कॉलर कह रहे हैं कि सरकार गैर हिंदू बच्चों पर सरस्वती वंदन का दबाव बना रही है क्योंकि इस्लाम में बुत बरस्ती बैन है। तिलक,चंदन,रोली का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है ना ही नारियल और ना ही किसी तरह की आरती का जिक्र इस्लामिक कानून मे है।
Face to Face Madhya Pradesh: हालांकि मुस्लिम स्कॉलर और कांग्रेस ये कह रही है कि उन्हें गुरु शिष्य परंपरा के तहत होने वाले गुरुओं के सम्मान से कोई परहेज नहीं लेकिन बीजेपी सरकार कम से कम अपने एजेंडे को स्कूलों में ना थोपे। जाहिर है जब दोनों ही धर्मों के जानकार आमने आमने हैं। तो फिर बीजेपी और कांग्रेस क्यों पीछे रहने वाली है। सरस्वती वंदना पर छिड़े विवाद को लेकर कांग्रेस कह रही है कि ये बीजेपी का कोई नया एजेंडा नहीं है…ये पहले से होता रहा है। यानी कांग्रेस ये दावा कर रही है कि बीजेपी सरकार वोटों के ध्रुवीकरण का एजेंडा बरसों से स्कूल कॉलेजों में इस्तेमाल करती रही है। उधर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस कब तक तुष्टिकरण की सियासत को हवा देती रहेगी।
कांग्रेस फिलहाल दबी जुबान में सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है क्योंकि कांग्रेस जानती है कि खुलकर बयान देने का नुकसान कितना बड़ा है या ये कहें कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस ने तुष्टिकरण की सियासत की वजह से कितना कुछ खोया है। शायद इसलिए कांग्रेस गुरु शिष्य परंपरा का हवाला तो दे रही है लेकिन ये भी कह रही है कि अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को इस फैसले के बंधन में नहीं बांधना चाहिए। खैर,बीजेपी ने फिर तुष्टिकरण के जरिए कांग्रेस की घेराबंदी शुरु कर दी है।