MP Assembly Monsoon Session 2024: तीन सत्रों में से सबसे लंबा सत्र बजट सत्र का होता है। सरकार पूरे साल भर का लेखा-जोखा रखती है, लेकिन इस बार का बजट सत्र अपेक्षाकृत छोटा था कुल 14 बैठकें होनी थी, लेकिन 14 में से सिर्फ 5 बैठक हुई। सत्ता पक्ष ने सदन के बाहर कहा कि संवाद होना चाहिए। यानी इनके बयान को आधार माना जाए तो सरकार संवाद चाहती थी, लेकिन विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर भंयकर आरोप लगा दिया और कहा कि, सरकार ने 2700 सवालों का जवाब ही नहीं दिया। यहां तक कि अपने विधायकों के सवाल का जवाब नहीं दिया।
दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र एक बार फिर तय समय के पहले ही खत्म हो गया। नर्सिंग घोटाले और जलजीवन मिशन पर कांग्रेस की चर्चा की मांग अधूरी रह गई। कांग्रेस दावा कर रही है कि 20 साल में एक भी सत्र पूरा नहीं चल सका जबकि इस बार का सत्र सिर्फ 5 बैठकों में ही सिमट गया। आंकड़े भी बता रहे हैं 2004 में लोकसभा चुनाव के बाद जून- जुलाई में हुए बजट सत्र में 37 में से 18 बैठकें हुई थी। 2009 में 30 बैठकें तय थी लेकिन सिर्फ 17 बैठकें हुई। वहीं 2014 में 21 बैठकें होनी थी औऱ 17 बैठकें हुई। 2019 में भी 17 बैठकें प्रस्तावित थी लेकिन सिर्फ 13 हुई और 2024 में 14 बैठकें होनी थी लेकिन सिर्फ 5 हुईं। जिसको लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।
MP Assembly Monsoon Session 2024: ऐसा नहीं है कि सिर्फ बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही सत्र तय वक्त के पहले खत्म कर दिए गए। कमलनाथ सरकार ने भी सत्र पूरे नहीं चलाए। साल 2020 में जब कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे तब भी 17 बैठकों वाला सत्र महज़ 2 बैठकों में ही खत्म कर दिया गया। उस वक्त भी सत्ता पक्ष यानी कांग्रेस सरकार की तरफ से ये दलील दी गयी कि विपक्ष ने हंगामा करके सत्र को समाप्त करने पर मजबूर कर दिया।