Mob Attack on Chhatarpur Police Station: भोपाल। भारत बंद वाले दिन जब एक तरफ पूरे मध्यप्रदेश में अनरेस्ट वाला माहौल था। छतरपुर में जो हुआ, क्या वो इमोशनल आउटब्रस्ट था? या फिर सोची समझी प्लानिंग ? लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार ये आशंका जताई जा रही है कि देश भर में अराजकता फैलाने की ताक में कुछ शक्तियां मौके की तलाश में हैं। क्या देश को अशांत करने की बड़ी तैयारियों का एक लिटमस टेस्ट छतरपुर में भी किया गया ? क्या ऐसे ही टेस्ट देश भर में चुनिंदा जगहों पर हो रहे हैं, क्या मप्र जैसे बीजेपी शासित राज्य इस साजिश के निशाने पर हैं ?
एमपी के छतरपुर से जो तस्वीरें सामने आई, उसने कानून व्यवस्था और इंटेलिजेंस के साथ अराजकता फैलाने की ताक बैठे में कुछ वर्ग की मनशा पर फिर से सवाल उठा दिया। दरअसल, एक विशेष समुदाय पर आपत्तिजनक कमेंट को लेकर समाज विशेष के लोग ज्ञापन सौंपने थाने पहुंचे थे। लेकिन, इसी दौरान पुलिस से बातचीत बहस मे तब्दील हो गई और इसी बीच करीब 2 हजार लोगों ने कोतवाली थाने पर हमला कर दिया था। पत्थरबाजी शुरू हुई, पथराव शुरू होने के बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए हवाई फायर किए।
पथराव में TI घायल हो गए, उन्हें जिला अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया। फिर पड़ोसी जिले टीकमगढ़ और पन्ना से अतिरिक्त फोर्स बुलाया गया और कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्य आरोपी के बंगले पर बुलडोजर चला कर मकान के अवैध हिस्से को जमींदोज कर दिया गया। मामले में पुलिस द्वारा 150 लोगों पर FIR दर्ज की गई है। अब तक इस मामले में 56 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्य आरोपी हाजी शहजाद के घर पर बुलडोजर कार्रवाई के बाद आरोपी खुद ही सरेंडर करने थाना पहुंच रहे हैं। वहीं, पुलिस भी फरार आरोपियों की तलाश कर रही है।
मामले में CM डॉ मोहन यादव ने सोशल X पर पोस्ट किया हैं, जिसमें सीएम ने लिखा है कि छतरपुर में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। कोई भी कानून को हाथ में ले, इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। जबकि कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने X पोस्ट कर लिखा कि बीजेपी सरकारों को बहाना चाहिए मुसलमानों का घर तोड़ने के लिए।
कुल मिलाकर सवाल कई हैं, क्या प्रशासन का ये इंटेलिंजेस फेलियर नहीं है कि 2 हजार लोग अगर प्रदर्शन या ज्ञापन के लिए आ रहे हैं तो इलाके में पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम रहे और सवाल ये भी है कि विशेष समुदाय के लोग अगर थाने, ज्ञापन देने गए थे तो वो एकाएक हमलावर कैसे बन गए ? और पुलिस पर ही पत्थर फेंकने का क्या औचित्य है। सवाल ये भी है कि इन हमलावरों के अवैध घरों पर अगर एक्शन लिया जा रहा है तो कांग्रेस उनके साथ खड़े होकर किसकी वकालत कर रही है ?