Lok Sabha Election 2024: भोपाल। 75 दिनों में 6 हजार से ज्यादा कांग्रेसी बीजेपी में शामिल हो चुके है और कांग्रेस नेताओं का बीजेपी ज्वाइन करने का सिलसिला लगातार जारी है। आज भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेहद खास सैयद जाफर ने भी हाथ का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। लेकिन, कांग्रेस नेताओं के बीजेपी ज्वाइन करने पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान बेहद चर्चाओं में है।
रविवार को इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेसियों के बीजेपी ज्वाइन करने से परेशान होने की जरूरत नहीं है। कलदार सिक्का कलदार ही रहता है। अब बहस छिड़ गई है कि भाजपा के अंदर क्या ओरिजनल कार्यकर्ता वर्सेस इम्पोर्टेड कार्यकर्ता हैं? बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ये कहते हैं कि नए भाजपाइयों के मुकाबले पुराने कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
सवाल ये है कि बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय को यह सब क्यों कहना पड़ रहा है। दरअसल, पिछले कई दिनों से कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति है और नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। पूरे एमपी में हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता और नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़कर बीजेपी को ज्वाइन किया और यह सिलसिला लगातार जारी है। बीजेपी ने बाकायदा न्यू जवाईनिंग टोली बनाई है। इतनी बड़ी संख्या में बाहरी कार्यकर्ताओं के बीजेपी में शामिल होने से बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं पर पड़ रहे असर को भांपते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिलासा दे दी।
लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी अपना कुनबा बड़ा करने में जुटी है तो बीजेपी और कांग्रेस की ओर से दिग्गज भी बयानबाजी से पीछे नहीं हैं। लेकिन, कैलाश विजयवर्गीय के पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को संबोधित बयान ने एक सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बीजेपी का कार्यकर्ता ओरिजनल है और कांग्रेस से आया हुआ कार्यकर्ता इम्पोर्टेड ? तो वहीं हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं ने बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने की बात कही है।
कांग्रेस को कमजोर कर बीजेपी लगातार अपना कुनबा बढ़ा रही है। लेकिन, कांग्रेस का कहना है की इससे कोई फर्क नहीं पड़ता तो वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है की पार्टी में सबको सम्मान मिलेगा। बीजेपी ने देश में 370 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए बीजेपी ने हर बूथ को कांग्रेस मुक्त करने की प्रतिज्ञा ली है। अपने कुनबे को बढ़ाने के इस अभियान में मध्यप्रदेश अव्वल है। यहाँ 6 हजार से अधिक नेता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं तो साथ ही साथ कई सवाल भी खड़े होते हैं। दूसरे दलों के नेताओं की लगातार बढती संख्या से क्या सच में बीजेपी के मूल कार्यकर्ता चिंता में है ? क्या वह पार्टी के इस अभियान से वाकई दुखी है?