भोपाल। Face To Face MP: मध्यप्रदेश में शीत सत्र का आगाज हंगामेदार रहा । सदन से सड़क तक विपक्षी शोर सुनाई पड़ा । घेराव का दांव, खाद पर वॉकआउट, सदन के बाहर प्रदर्शन पहले दिन की हाईलाइट्स कुछ ऐसी ही थी। विपक्ष ने पहले ही दिन अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए हैं। जन मुद्दों की नब्ज पकड़ने और उनके जरिए सरकार को घेरने की ये कोशिश रंग लाएगी या सत्तारूढ़ दल की तगड़ी घेरेबंदी के आगे सारे पैंतरे नाकाम होंगे। ये देखना अब दिलचस्प हो गया है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और विधानसभा घेराव करने निकले, लेकिन विधानसभा घेराव में सबकुछ मंच तक ही सिमट कर रह गया। मंच से भाषण के बाद नेताओं ने खुद की गिरफ्तारी की घोषणा की न लाठीचार्ज हुआ न पानी कौ तेज बौछार और न ही बेरिकेड्स पर पुलिस से झूमाझटकी की पारंपरिक तस्वीरें दिखाई दी।
दरअसल, विधानसभा के पहले दिन कांग्रेस की रणनीति सदन के बाहर संगठन के जरिए तो सदन के अंदर विधायकों के मार्फत सरकार को घेरने की रणनीति थी। कांग्रेस इसमें कितना कामयाब रहा ये तो वहीं जाने क्योंकि सत्र का पहला दिन होने के कारण विधायक विधानसभा में ही फंस गए और बड़े नेता कार्यकर्ताओं के जुटने का इंतजार करते रहे। बड़े नेता के तौर पर सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मंच पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं में जोश भरा जिसके बाद धीरे धीरे कार्यकर्ताओं की संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी भी हुई लेकिन दिग्विजय सिंह के मौजूद न रहने से भी सवाल तो उठे ही इससे पहले खाद संकट को लेकर कांग्रेस ने हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार सहित कई कांग्रेस विधायक खाद की बोरियां लेकर विधानसभा पहुंचे..इसके अलावा सदन के भीतर भी खाद में कमी का मुद्दा उठाया जिस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कांग्रेस ने वॉकआऊट भी किया। इसके बाद कांग्रेस के धरनास्थल पर थोड़ी गहमागहमी बढ़ी लेकिन वो असर नहीं दिखा पाई जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
Face To Face MP: विधानसभा सत्र का पहला दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देकर स्थगित करना पिछले कई सालों से एक अघोषित नियम बन चुका है। शीतकालीन सत्र में ऐसा नहीं हुआ, कार्यमंत्रणा की बैठक के दौरान ही सरकार और विपक्ष के बीच कार्यवाही चलने को लेकर सहमति बनी जिसका नतीजा ये रहा कि दो नए विधायकों ने शपथ ली और प्रश्नकाल के दौरान दो सवालों पर चर्चा हुई ।