भोपाल। Face To Face MP: मप्र में बाढ़ को लेकर सरकार पर विपक्ष ने हमला बोला है। उसका कहना है कि व्यवस्था की कमी और तैयारियों की कोताही के चलते लोग परेशान हो रहे हैं। क्या ये आरोप महज लगाने के लिए लगाए गए हैं या फिर इसके पीछे कोई सच्चाई है? मध्यप्रदेश में बारिश औसत से 7 फीसदी ज्यादा हो चुकी है। यानी जो बारिश जून-जुलाई में 16 फीसदी होनी चाहिए थी वो 23 फीसदी हो चुकी है। यहीं वजह है डैम,नदियां,तालाब लबालब होने के बाद अब उफान पर है।
कहीं बस्तियां डूब रही हैं तो कहीं पुल पुलिया डूब चुकी हैं। जाहिर है संकट गहराता जा रहा है। अब प्रदेश में बाढ़ के हालात बन रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने दिल्ली से लौटने के बाद 12 घंटों के भीतर दो बार समीक्षा बैठक की है। मौसम विभाग ने 22 जिलों में अलर्ट जारी किया है। एमपी के 8 जिलों खासकर मंदसौर, झाबुआ, अलीरजापुर, नरसिंहपुर,धार, बड़वानी, जबलपुर और सिवनी में भारी बारिश के बाद बाढ़ के हालातों को लेकर अलर्ट जारी किया है।
Face To Face MP: दूसरी तरफ बाढ़ के हालातों पर कांग्रेस बीजेपी सरकार की घेराबंदी कर रही है। कांग्रेस कहना है कि बीजेपी सरकार ने बाढ़ से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं की है। असल में ये कोई पहला मौका नहीं है जब एमपी में बाढ़ के हालात बने हों। इसके पहले भी बाढ़ ने एमपी में भयंकर तबाही मचाई है, लेकिन सवाल तो ये कि अफसर और सिस्टम क्यों नहीं पिछली घटानओं से सबक लेते। शायद इसलिए कि उन्हें जनता के दरबार में नहीं जाना होता। जनता उनके दरबार में जाती है।
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