Face To Face MP: खाद या गले की फांस? टूटी उम्मीदें..उखड़ी सांस… खाद पर सियासत ज्यादा पर समाधान कहीं क्यों नहीं ?

Face To Face MP: खाद या गले की फांस? टूटी उम्मीदें..उखड़ी सांस... खाद पर सियासत ज्यादा पर समाधान कहीं क्यों नहीं ?

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  • Publish Date - November 18, 2024 / 09:40 PM IST,
    Updated On - November 18, 2024 / 09:40 PM IST

भोपाल। Face To Face MP:  बुवाई के इस एक महीने के सीजन में हमने जिसे अन्नदाता का दर्जा दिया है..उससे जुड़ी कैसी ख़बरें सुनी और देखी किसानों का खाद के लिए सुबह चार बजे से लाइन में लग जाना, खाद का थानों में मिलना, खाद के लिए डीएम का टोकन सिस्टम, खाद की कालाबाजारी, 1350 रुपये वाली खाद का 1600 रुपये में मिलना और बुवाई सीजन खत्म होते-होते खाद की किल्लत से गुना में एक किसान की मौत से पहले का लाइव वीडियो देखा, जिसमें वो बता रहा है कि खाद की कालाबाजरी से वो परेशान है। सरकार का पक्ष आया कि वो बीमार था और शराब का आदि था। लेकिन मौत से पहले वो ऐसी बात कह रहा था जिसका प्रमाण कई जिलों में देखने को मिला। एक फैक्ट निकला एमपी में 7 लाख मीट्रिक टन डीएपी की ज़रुरत है लेकिन इसका महज 20 फीसदी ही है। तो क्या ये कमी नहीं है। जब सरकारे हमें सिलेंडरो की लंबी-लंबी लाइनों से निजात दिला सकती है तो हमारे अन्नदाताओं को कब डीएपी की समस्या से कब निजात दिला पाएगी।

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मध्य प्रदेश में खाद के लिए परेशान किसानों का सब्र टूट रहा है। गुना के झागर गांव में एक किसान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। सुसाइड से पहले उसने एक वीडियो बनाकर फेसबुक में डाला और प्रशासन पर खाद की कालाबाजारी के संगीन आरोप लगाए। मामला किसानों का है तो राजनीति लाजमी है। एक ओर कांग्रेस व्यवस्था पर सवाल उठा रही तो दूसरी ओर भाजपा, कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में है।

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Face To Face MP: सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो से किसानों का गुस्सा भड़का हुआ है। लेकिन शासन-प्रशासन आरोपों को खारिज कर रहा है। गुना कलेक्टर के अनुसार किसान भगवत सड़क हादसे के बाद लगातार बीमार था और उसे शराब पीने की लत भी थी। उनकी माने तो झागर सेवा सहकारी समिति में 24.8 मीट्रिक टन DAP उपलब्ध है। मौत से पहले एक किसान का बयान और इस बयान के वायरल होने के बाद प्रशासन का दावा दोनों जनता के सामने है। सवाल है कि सच क्या है? क्या वाकई एमपी में खाद को लेकर कोई परेशानी नहीं है? यदि शासन प्रशासन के दावे को सही मान लें तो फिर किसान ने खुदकुशी क्यों की? आखिर मौत से पहले उसे झूठा आरोप लगाने की क्या जरूरत पड़ी?

 

 

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