Face To Face Madhya Pradesh: पीथमपुर में मचा घमासान..कैसे हो ‘जहर’ का निपटान? जहरीले कचरे के निपटान पर सियासत करना क्या सही है?

Face To Face Madhya Pradesh: पीथमपुर में मचा घमासान..कैसे हो 'जहर' का निपटान? जहरीले कचरे के निपटान पर सियासत करना क्या सही है?

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  • Publish Date - January 3, 2025 / 10:48 PM IST,
    Updated On - January 3, 2025 / 10:48 PM IST

भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh:  पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निपटारा किए जाने का विरोध मुखर होता जा रहा है। पहले से घोषित पीथमपुर बंद के दौरान सड़कों पर उतरे लोगों में मुद्दे को लेकर तीखा आक्रोश दिखा। इस आक्रोश पर कांग्रेसी नेताओं ने भी तीखे बयानों से सरकार को जमकर घेरा, सरकार ने फिर सफाई दी। कहा कि, सबकुछ अंडर-कंट्रोल है, हर बात सोच-समझकर ही जगह और प्रक्रिया का चुनाव किया जा रहा है। सवाल ये है कि फिर इतना विरोध क्यों है, उससे भी बड़ा सवाल ये कि 40 सालों से प्रदेश में पड़े कचरे का निष्पादन बेहद जरूरी है, ऐसे विवाद से क्या समाधान निकल पाएगा ?

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पीथमपुर बंद के दौरान इस माहौल का अंदाजा पहले से था जिसे लेकर पुलिस-प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। 1984 के भोपाल गैस कांड त्रासदी के बाद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूनियन कार्बाइड के कचरे को भोपाल से पीथमपुर लाया जा चुका है, जहां रामकी कंपनी के इंसीनेटर में इसे नष्ट किया जाने का मुखर विरोध हो रहा है। शुक्रवार को पीथमपुर में प्रदर्शन के दौरान 2 युवाओं ने खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने का प्रयास किया। गनीमत रही उन्हें वक्त रहते रोका गया, दोनों की हालत गंभीर है, जाहिर है इस घटना ने सूबे की सियासी तापमान बढ़ा दिया,पूर्व CM कमलनाथ ने X-पोस्ट कर सीएम मोहन यादव को संवेदनशील मामले में जनभावनाओं के मुताबिक फैसला लेने की अपील की तो, PCC चीफ ने सरकार को जमकर कोसा, इंदौर कांग्रेस सेवा दल अध्यक्ष विवेक खंडेलवाल ने CM को पत्र लिखकर चेताया कि- ‘यदि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरा जला तो पीथमपुर- यमराजपुर बन जाएगा।

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Face To Face Madhya Pradesh:  यूनियन कार्बाइड के कचरे पर इस सियासी किच-किच और कांग्रेस के आरोपों को सीएम डॉ मोहन यादव ने सिरे से खारिज किया, फिर दावा किया कि पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और एक्सपर्ट्स की निगरानी में हर पहलू सोच-समझकर की जा रही है। ये तो तय था कि धार के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन आसान ना होगा। स्थानीय लोगों के विरोध पर कांग्रेस मुखरता से सरकार को घेर रही है तो दूसरी तरफ सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एक्सपर्ट टीम के निगरानी का हवाला देकर ऑल-इज-वेल का दावा करती है। सवाल है कि क्या सरकार ने लोगों को जहरीले कचरे के निष्पादन की पूरी प्रक्रिया ढंग से समझाकर, उनका भ्रम या डर दूर नहीं किया है? क्या विपक्ष लोगों की विरोध की आंच पर अपनी सियासी रोटी सेंकना चाहता है ? सबसे बड़ा सवाल ये क्या इस विरोध के बाद कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया समय पर पूरी हो पाएगी ?

 

 

 

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