भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में गीता पर लगातार इवेंट हो रहे हैं। इसी बीच जबलपुर में संतों ने गीता को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की मांग की है। मतलब ये कि प्रदेश की मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में गीता ने धमाकेदार एंट्री ले ली है। जाहिर है विपक्ष ने विरोधी रुख अख्तियार कर लिया है। अब सवाल ये है कि क्या गीता सीएम मोहन यादव के लार्जर पॉलिटिक्स की एक अहम कड़ी बनने जा रही है। उस पॉलिटिक्स की,जिसकी शुरुआत उन्होंने पद मिलते ही शुरू कर दिया था जो जुड़ी है कृष्ण से राम वाली सियासत की प्रयोग भूमि यूपी था तो क्या अब मप्र कृष्ण आधारित राजनीति का साक्षी बनने जा रहा है?
मध्यप्रदेश में अब सियासत का दौर बदल चुका है। राम वन गमन पथ के बाद अब चर्चाएं कृष्ण पाथेय की शुरु हो चुकी है। सालभर में एमपी की सियासत का नैरेटिव बदलते हुए गीता और गौ माता के जरिए पूरी तरह कृष्ण पर केंद्रित हो चुका है। जाहिर है सियासत के इस दौर के नए नायक मोहन यादव हैं। शायद इसलिए भी आज मोहन यादव की मौजूदगी में 5000 पुरोहितों के गीता पाठ का वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है। गीता पर चर्चाओं के बीच संत समाज ने गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव देकर नयी बहस को छेड़ दिया है। उधर कांग्रेस को संतों के इस प्रस्ताव पर ऐतराज़ है। कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि मोहन यादव संघ के एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
Face To Face Madhya Pradesh: जाहिर है जब सियासी पिच बीजेपी नेताओं के मुताबिक होगी तो बल्लेबाजी भी जोरदार ही होगी। कांग्रेस के विरोध पर बीजेपी नेता फ्रंट फुट पर है। बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा कह रहे हैं की बच्चों को गीता नहीं पढ़ाएंगे तो क्या कलमा पढ़ाएंगे। खैर,अब काग्रेस के विरोध को बीजेपी ने हवा देना शुरु कर दिया है। दरअसल कृष्ण,गीता औऱ गौमाता के जरिए सीएम मोहन यादव ने आरएसएस के मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि के एजेंडे के लिए जमीन तैयार करना शुरु कर दिया है। मध्यप्रदेश में गीता पर हो रहे विवाद के माध्यम से अब कृष्ण जन्मभूमि की चर्चा फिर शुरु हो गयी है। उधर कांग्रेस आज भी अपने सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे पर कनफ्यूज़ है।
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