Electricity workers strike: भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली कर्मचारियों और राज्य शासन के बीच तनातनी बनी हुई है। जहां एक तरफ पूरे प्रदेश के हजारों कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने का मन बना लिया है तो उधर सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए बड़ा निर्णय लिया है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार ने हड़ताल रोकने के लिए एस्मा लागू कर दिया है। बता दें आज से पूरे प्रदेश के बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले है।
Electricity workers strike: सरकार के इस निर्णय के बाद देर रात बिजली कर्मचारियों की केंद्रीय कार्यकारिणी ने एस्मा लगने के बाद भी हड़ताल करने का निर्णय लिया। बता दें ऊर्जा विभाग के तहत काम करने वाली सभी कम्पनियों के संविदा और नियमित कर्मचारियों पर एस्मा एक्ट लागू किया गया है। अगले तीन महीने तक कोई कर्मचारी काम से इंकार नहीं कर सकेगा। एस्मा लगाकर हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों को सरकार ने सख्त चेतावनी दी। 4 दौर की बातचीत और प्रदर्शन के बाद भी कोई हल न निकलने से कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया है। बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश ब्लैकआउट जैसे हालात बन सकते हैं। एस्मा एक्ट लागू होने के बाद भी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
Electricity workers strike: दरअसल, प्रदेश के बिजली कर्मचारी अपनी 8 सूत्री मांग को लेकर शुक्रवार यानी की आज से हड़ताल पर जा रहे थे। उन्होंने सरकार के सामने अपनी 8 मांगें भी रखी थी। सरकार अगर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो प्रदेश में ब्लैक आउट की स्थिती बन सकती थी। बिजली कर्मचारियों की पावर मैनेजमेंट कंपनी के साथ बैठक भी हुई थी जो सफल नहीं रही। जिसके बाद कर्मचारियों ने प्रदेश के 52 जिला कलेक्टरों को हड़ताल करने का नोटिस दिया है। जिसके तहत प्रदेश के 70 हजार बिजली कर्मचारी आज हड़ताल पर जा रहे थे।
Electricity workers strike: उधर सरकार ने हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों पर एस्मा लागू कर दिया है। अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनके खिलाफ एस्मा की कार्रवाई की जाएगी। एस्मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट किसी भी सरकार द्वारा तब लगाया जाता है जब उनके पास हड़ताल रोकने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं। साथ ही हड़ताल का प्रतिकूल प्रभाव आवश्यक सेवाओं पर पड़ने लगता है। यह कानून जिस सर्विस (सेवा) पर लगाया जाता है। उससे जुड़े कर्मचारी फिर हड़ताल नहीं कर सकते हैं। वहीं, अगर कोई कर्मचारी इस कानून का पालन नहीं करता है तो उसे 6 महीने की जेल की सजा का प्रावधान है।
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