Face To Face Madhya Pradesh: बांग्लादेश पर जंग जुबानी.. खटमल, मच्छर.. नई कहानी! क्या आक्रामक बयान के जरिए अपनी सियासी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं विजयवर्गीय?

Face To Face Madhya Pradesh: बांग्लादेश पर जंग जुबानी.. खटमल, मच्छर.. नई कहानी! क्या आक्रामक बयान के जरिए अपनी सियासी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं विजयवर्गीय?

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  • Publish Date - August 16, 2024 / 09:25 PM IST,
    Updated On - August 16, 2024 / 09:26 PM IST

Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। मप्र में देसी ही नहीं विदेशी मुद्दों पर भी सियासी लड़ाई हो रही है। बांग्लादेश को लेकर सज्जन वर्मा ने जो बयान दिया था, अब उस पर कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार किया है। इस लड़ाई में खटमल और मच्छर जैसे जुमलों की भी एंट्री हो गई है। मतलब ये कि जंग आगे और निचले स्तर तक जा सकती है। क्या इस बयान के जरिए विजयवर्गीय अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं? क्या उन्होंने पार्टी जनों को और बाहरी नेताओं की भी ये बताने की कोशिश की है कि वो भले ही राज्य के मंत्री हों, पर कभी बंगाल के प्रभारी थे और राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं यानी उनका कद कोई भूलें नहीं।

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अब एमपी की सियासत में खटमल और मच्छर जैसी उपमाएं दी जाने लगी है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कुछ खटमल और मच्छर कहते हैं कि भारत में बांग्लादेश जैसे हालात हो जाएंगे। ये शेर और शेरनियों का देश है, यहां बांग्लादेश जैसे हालात नहीं होंगे। कैलाश विजयवर्गीय ने आगे ये भी कहा कि खटमल और मच्छरों को अक्ल कब आएगी पता नहीं। अब आप सोच रहे होंगे कि कैलाश विजयवर्गीय खटमल और मच्छर किसे कह रहे हैं।

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दरअसल, कुछ दिन पहले पूर्व मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा था कि श्रीलंका और बांग्लादेश में जैसी स्थिति बनी है, उसे देखकर लगता है कि अगला नंबर भारत का है। हालांकि, गुना के बीजेपी विधायक पन्ना लाल शाक्य ने कांग्रेस की आशंका को जायज ठहरा दिया है। बीजेपी विधायक ने कहा कि कोई कह नहीं सकता कि एमपी या हिंदुस्तान में नहीं होगा, बिल्कुल हो सकता है। इशारों ही इशारों में विजयवर्गीय ने सज्जन सिंह वर्मा ने तंज कसा तो कांग्रेस भड़क गई। तो वहीं बीजेपी, कैलाश विजयवर्गीय के बयान के साथ खड़ी है। जाति, समाज, वर्ग औऱ धर्म की राजनीति करने वाले नेता अब भाषाई स्तर पर कहां जाकर खड़े हैं। ये तो आप देख-सुन रहे ही हैं। सवाल ये है कि विचारधारा का विरोध करते -करते शब्दों के चयन का महत्व इतना कम क्यों हो रहा है।

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