councilors breakfast bill: भोपाल। तंगहाल और कंगाली! यह दो नाम भोपाल नगर निगम के पर्यायवाची कहे जाएं तो अतिशियोक्ति नहीं होगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सड़क सुधार तो दूर बल्कि बंद स्ट्रीट लाइटों का बकाया बिजली बिल चुकाने के लिए भी निगम के पास फंड नहीं है। लेकिन हां, यह बीजेपी के पार्षदों को नास्ता कराने के लिए निगम के पास फंड की कोई कमी नहीं। यह सुनकर शायद आप अचरज में पड़ जाएंगे कि एक ही दिन में बीजेपी के 58 पार्षदों पर सिर्फ नास्ते के लिए 2 लाख 90 हजार रुपये का खर्च किया गया। मतलब यह कि बीजेपी के एक-एक पार्षद ने पांच हजार रुपये का नास्ता किया। गनीमत मानिए कि इन पार्षदों ने भोजन नहीं किया। यदि किया होता तो इसका बिल आखिर कितना होता।
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councilors breakfast bill: इसका अंदाजा लगाना भी नास्ते के बिल से लगाया जा सकता है। नास्ते नाम पर इसे निगम की धांधली-घोटाला कहे या मनमानी यह तो फिलहाल जांच का विषय है पर इसका खुलासा भी नगर निगम परिषद की बैठक में हुआ। बैठक में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस पार्षद शीरीन खान ने प्रश्न पूछा। प्रश्न भी यह था कि बीती 6 सितंबर को शपथ ग्रहण समारोह और परिषद सम्मेलन, बीजेपी पार्षद दल की बैठक में व्यवस्था में किन-किन मदों में कितनी राशि खर्च की गई। प्रश्न को लेकर पहले तो हंगामा हुआ। इसके बाद बीजेपी पार्षद और एमआईसी मेंबर सुषमा बबीसा ने भरे सदन में जबाव भी दिया।
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councilors breakfast bill: जबाव में यह बात सामने आई कि बीजेपी पार्षदों के नास्ते पर एक ही दिन में कुल 2 लाख 90 हजार रुपये खर्च हुए। मामला सुनते ही सदन में हंगामा फिर मचा। नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने शहर सरकार पर आरोप लगया कि खस्ताहाल सड़कों और अंधेरे में डूबी स्ट्रीट लाइट को लेकर बीजेपी की शहर सरकार को सुध नहीं है लेकिन नास्ते के नाम पर इतना खर्च। इतना खर्च की जो समझ से परे हैं। उधर, महापौर मालती राय मामले को दबाते नजर आई। महापौर ने कहा कि जो प्रश्न पूछा उसका उत्तर दिया गया। सिर्फ नास्ते की बात नहीं है बल्कि पूरा खर्च का ब्योरा है। प्रश्नकर्ता कांग्रेसी पार्षद शीरीन खान ने तो यह भी दावा किया कि उनके प्रश्न का आधा-अधूरा जबाव बीजेपी की शहर सरकार ने दिया। यदि पूछे गए प्रश्न का पूरा उत्तर दिया जाता तो कई चौकाने वाले खुलासे और भी होते।
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councilors breakfast bill: उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि परिषद ने अन्य तमाम प्रश्नों के लिखित में जबाव संबंधित प्रश्नकर्ता पार्षदों को उपलब्ध कराए। लेकिन इस प्रश्न का लिखित में उत्तर 24 घंटे से अधिक बीते जाने के बाद भी उन्हें नहीं दिया गया। जो नगर निगम की मंशा को जाहिर करता है एक कागजी हेरफेर की ओर इशारा भी करता है।
councilors breakfast bill: मामले पर कांग्रेस भी हमलावर है। कांग्रेस के मीडिया विभाग उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने इसे घोटाला बताते हुए कहा कि यह बीजेपी सरकार की बेशर्मी है। शहर सरकार हो या ग्राम सभी जगह ऐसे ही सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। उधर, बीजेपी ने मामले को ढांकने के लिए यह कहती दिखाई दी कि कांग्रेस को बड़े मुद्दों का राजनीति करनी चाहिए।