CM Mohan Yadav Statement: भोपाल। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत के बयान पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पलटवार किया है। सीएम ने काह कि, ” जब से हमने लाडली बहना योजना शुरू की है लगातार हर महीने, निश्चित समय पर बहनों को पैसे देने का काम किया है। हमने हमारी 500 साल पूर्व की सम्राज्ञी वीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती के अवसर पर एक साथ पूरे प्रदेश की बहनों के खातों में 5-5 हजार की राशि डाली है। कोई ऐसा महीना नहीं जा रहा है, जिसमें यह राशि नहीं डाली गई है।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि, हार के डर से शिवसेना (UBT) के लोग महाराष्ट्र के चुनाव में मतदाताओं को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं एक बार फिर अपने सारे मतदाताओं से कहना चाहूंगा कि ऐसे झूठे षड्यंत्रों पर विश्वास न करें। यह नारी सशक्तिकरण की राशि है जिसे हम बंद करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी योजना के तहत बहनों के जीवन में बेहतरी हो।”
बता दें कि, महाराष्ट्र में भी बीजेपी गठबंधन सरकार ने लाड़ली बहना की तर्ज पर माझी लाडकी बहिण योजना लांच की है। इस बीच शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने लाड़ली बहना योजना को बंद करने को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा कि, लाडली बहना योजना देश के किसी भी हिस्से में सफल नहीं हो पाई है, यह सिर्फ एक राजनीतिक खेल है। संजय राउत ने आगे कहा कि, इस योजना से अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। साथ ही उन्होंने कहा,लाडली बहना योजना अगले महीने से बंद हो जाएगी।
संजय राउत ने इस योजना के चलते बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, प्रधानमंत्री आए और हजारों-लाखों करोड़ की योजनाओं की घोषणा की, पैसा कहां से लाएंगे? उन्होंने मध्य प्रदेश का जिक्र करते हुए कहा, मध्य प्रदेश में इस योजना को बंद कर दिया गया है। वित्त विभाग के सचिव ने बताया है कि, इस योजना को इस तरह से नहीं चलाया जा सकता। महाराष्ट्र में अगले महीने दिवाली के समय सरकारी वेतन नहीं मिलेगा। संजय राउत ने सीएम एकनाथ शिंदे को घेरते हुए कहा कि, महाराष्ट्र में भी इस योजना की दूसरी या तीसरी किस्त मिलेगी, सरकार इतनी मजबूत नहीं है कि चौथी किस्त का भुगतान किया जा सके, सरकार कर्ज पर चल रही है।
संजय राउत ने महाराष्ट्र के सीएम को घेरते हुए कहा, एकनाथ शिंदे को बैलेंस शीट दिखानी चाहिए, जो सिर्फ योजना के साथ उड़ रहे हैं। राउत ने कहा, पीएम मोदी लाडली बहना कार्यक्रम में आते हैं लेकिन बहनें कहां हैं, कुर्सियां खाली हैं. यहां सिर्फ मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है और कुछ नहीं किया जा रहा है.योजनाओं के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है।