Charge sheet stuck in 44 cases related to major corruption in EOW: भोपाल। मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का दावा किया जाता है। निर्देश भी जारी किए गए कि भ्रष्ट अफसरों की लिस्ट बनाएं और उन पर ईओडब्ल्यू की छापेमार कार्रवाई की जाए, लेकिन निर्देशों पर अमल नहीं किया जा रहा है। स्थिति ऐसी है कि ईओडब्ल्यू में बड़े भ्रष्टाचार से जुड़े 44 मामलों की फाइलें धूल खा रही हैं।
हालात ऐसे हैं कि जांच एजेंसी इन मामलों में 01 से 05 साल पहले जांच पूरी कर सबूत जुटा चुकी है। इनमें 105 आरोपी हैं, जिनमें ज्यादातर क्लास वन और टू स्तर के अफसर हैं, लेकिन 26 विभाग इन आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने की स्वीकृति नहीं दे रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 18 मामले नगरीय विकास एवं आवास विभाग के हैं। 7 केस सामान्य प्रशासन विभाग के हैं। अभियोजन की स्वीकृति न मिलने से जांच एजेंसी अदालत में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइनल नहीं कर पा रही है। उधर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 17 आरोपियों के खिलाफ 5 साल से चार्जशीट अटकी हुई है।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ फिलहाल जांच ठंडे बस्ते में है और छापे जैसी कार्रवाई भी नहीं हो पा रही हैं। सरकारी रिपोर्ट में वजह बताई जा रही है कि तीन महीने पहले ईओडब्ल्यू से करीब 30 डीएसपी का तबादला कर दिया गया। इनके एवज में जांच एजेंसी को कोई नया डीएसपी नहीं मिला। अकेले भोपाल संभाग की बात करें तो यहां 150 केस और करीब अलग-अलग तरह की 900 जांच चल रही हैं। इनके लिए केवल 13 इन्वेस्टिगेटर बचे हैं। क्योंकि पीसी एक्ट का इन्वेस्टिगेशन डीएसपी ही कर सकते हैं।
2022 में भ्रष्टाचार की 5000 से ज्यादा शिकायतें
Charge sheet stuck in 44 cases related to major corruption in EOW: सरकार से मिली अनुमति के बाद कार्यवाहक डीएसपी से भी जांच करवाई जा रही हैं। जो नाकाफी हैं। आंकड़े बताते हैं कि ईओडब्ल्यू के पास 2022 में भ्रष्टाचार की 5000 से ज्यादा शिकायतें थीं। ये 2021 की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा थीं। इनमें ईओडब्ल्यू ने 103 एफआईआर दर्ज कर ली हैं। स्क्रूटनी के बाद जांच एजेंसी ने 402 आवेदन को जांच में लिया। साल 2021 में ऐसी 289 शिकायतों की जांच की गई। बाकी आवेदन संबंधित विभागों के पास जांच के लिए भेज दिए गए। आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामले वर्ष 2021-22 से लंबित हैं।