MP Nursing College Scam: भोपाल। एमपी में सामने आए नर्सिंग घोटाले की जद में अब पूरा सिस्टम आ चुका है, जिस CBI को इस पूरे घोटाले की जांच को लीड करने की जिम्मेदारी थी वो CBI खुद इस भ्रष्टाचार का हिस्सा बन गया। अमानक कॉलेज को मान्यता देने के एवज में CBI इंस्पेक्टर, रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए, जिसके बाद कांग्रेस ने CBI द्वारा किए गए पहले जांच को भी सवालों के घेरे में ला दिया। जबकि बीजेपी भ्रष्टाचारियों पर एक्शन लेने का दावा कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि इस नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के तार कहां-कहां तक जुड़े हैं और सवाल ये भी है कि प्रशासन की नाक के नीच ये धांधली हो कैसे गई?
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एमपी में नर्सिंग कॉलेज घोटाले का मामला आग की तरह तेजी से फैल रहा है। इस घोटाले की जांच कर रहे CBI अफसरों को ही रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ों गया फिर गिरफ्तारी हुई। यानी अमानक कॉलेजों से रिश्वत लेकर CBI के अधिकारी उन कॉलेजों को क्लीन चिट देते थे। लेकिन अब ये मामला थमता नजर नहीं आ रहा। नया खुलासा ये है कि मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने जिन मान्य कॉलेजों की लिस्ट जारी की है। उसमें उस कॉलेज का नाम भी शामिल है। जिस कॉलेज का प्रिंसिपल रिश्वत देते गिरफ्तार हुआ था, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी को बीजेपी और CBI पर हमला करने का मौका मिल गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने नर्सिंग कॉलेज घोटाले पर X पोस्ट किया है। उन्होंनं कहा कि अब समझ आ रहा ‘व्यापमं महाघोटाले’ में CBI ने क्लीन चिट कैसे दी होगी। नर्सिंग कॉलेजों की सूटेबल रिपोर्ट के लिए CBI अधिकारी लाखों रुपए की रिश्वत लेकर बिक गए। व्यापमं महाघोटाला तो अरबों रुपए का था, उसमें तो करोड़ों की रिश्वत मिली होगी। इधर भोपाल में कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी को घेरा।
दरअसल नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले में खुलासा हुआ है कि घूसखोर अधिकारियों ने दलाल रखे थे… और यही दलाल, कॉलेज संचालकों और अधिकारी के बीच रिश्वत तय करते थे। कॉलेज की कमियों के अनुसार रिश्वत तय की जाती थी। कई कालेज संचालकों से दलालों ने कॉलेज ठेके पर लिए थे। इतना ही नहीं जो प्रॉफिट होता था वो CBI अधिकारियों तक भेजा जाता था। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद न सिर्फ मौजूदा CBI की जांच पहले हुई CBI की जांच पर भी कांग्रेस सवाल खड़ाकर रही है।
MP Nursing College Scam: कांग्रेस की पूरी कोशिश भी है कि नर्सिंग घोटाले के साथ-साथ व्यापम घोटाले पर फिर से बहस हो ताकि बीजेपी को घेरा जा सके… तो कुल मिलाकर जिस मामले पर हाईकोर्ट पैनी नजर थी… और जांच टीम को लीड करने के लिए जिस CBI को चुना। वहीं CBI अफसर पूरे फर्जीवाड़ा का हिस्सा बन गए। यानी जिसे चौकीदारी करनी थी वही चोर बन गया। अब इस पूरे मामले में शिकायतकर्ता हाईकोर्ट में ये याचिका दाखिल करेंगे कि इस पूरी जांच को रद्द किया जाए ताकि सही और निष्पक्ष तरीके जांच हो सके।