‘दूल्हा-दुल्हन की कुंडली मिलाने से खत्म हो जाएगी सिकल सेल की बीमारी’ जो न खोज पाए दुनिया के वैज्ञानिक, वो ढूंढ निकाला भोपाल के डॉक्टर दंपति ने

जो न खोज पाए दुनिया के वैज्ञानिक, वो ढूंढ निकाला भोपाल के डॉक्टर दंपति ने! Bride Groom Kundali Can Treat sickle cell anemia

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  • Publish Date - June 25, 2023 / 12:01 PM IST,
    Updated On - June 25, 2023 / 12:25 PM IST

भोपालः Bride Groom Kundali Can Treat sickle cell anemia दुनिया के 127 देशों और 25 करोड़ लोगों में पाए जाने वाली जानलेवा बीमारी सिकल सेल एनीमिया का इलाज पूरी दुनिया सदियों से ढंढ रही है, लेकिन भोपाल के एक डॉक्टर दंपत्ति ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का उपाय खोज लिया है। आप शायद यकीन न करें, लेकिन शादी के पहले दूल्हा और दुल्हन की यह अनोखी कुंडली मिलाने से सिकल सेल जड़ से खत्म हो जाता है। 27 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भोपाल के इसी डॉक्टर दंपत्ति की खोज को देश को समर्पित करेंगे और पीएम शहडोल से राष्ट्रीय स्तर के सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरुआत करेंगे। बता दें कि 27 जून को पीएम मोदी मध्यप्रदेश के दौरे पर हैं और इस दौरान वे प्रदेश को कई बड़ी सौगातें देंगे।

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Bride Groom Kundali Can Treat sickle cell anemia दरअसल गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर निशांत नम्बीसन और उनकी पत्नी डॉ. स्मिता नम्बीसन ने एक ऐसी हेल्थ कुंडली विकसित की है, जिसे शादी के पहले दूल्हा और दुल्हन की कुंडली के मिलान से आने वाली पीढ़ी में सिकल सेल एनीमिया बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। तो चलिए पहले ये जान लेते हैं कि क्या है सिकल सेल एनीमिया? इसके लक्षण क्या होते हैं और बचाव के लिए क्या किया जा सकता है।

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(Kya hai sickle cell anemia) क्या है सिकल सेल एनीमिया?

प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं जो आकार में गोल, नर्म और लचीली होती हैं। यह लाल रक्त कोशिकाएं जब स्वयं के आकार से भी सूक्ष्म धमनियों में से प्रवाह करती हैं तब वह अंडाकार आकार की हो जाती है। सूक्ष्म धमनियों से बाहर निकलने के पश्चात कोशिकाओं के लचीलेपन के कारण वे पुनः अपना मूल स्वरूप ले लेती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं का लाल रंग उसमे रहने वाले हीमोग्लोबिन नामक तत्व के कारण होता है। स्वस्थ रक्तकण में हीमोग्लोबिन नॉर्मल अर्थात सामान्य प्रकार का होता है। हीमोग्लोबिन का आकार सामान्य के बदले असामान्य भी देखने को मिलता है। जब लाल रक्त कोशिकाओं में इस प्रकार का बदलाव होता है तब लाल रक्त कोशिकाएं जो सामान्य रूप से आकार में गोल तथा लचीली होती हैं यह गुण परिवर्तित कर अर्ध गोलाकार एवं सख्त/कड़क हो जाता है जिसे सिकल सेल कहा जाता है (लेटिन भाषा में सिकल का अर्थ हंसिया होता है)। यह धमनियों में अवरोध उत्पन्न करती हैं जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन व खून की कमी होने लगती है इसलिए इसे सिकल सेल एनीमिया कहा जाता है| लाल रक्त कोशिकाओं का यह विकार हमारे अंदर रहने वाले जीन की विकृति के कारण होता है। जब लाल रक्त कोशिकाओं में इस प्रकार का विकार पैदा होता है तब व्यक्ति के शरीर में अलग-अलग प्रकार की शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जैसे कि हाथ पैरों में दर्द होना, कमर के जोड़ों में दर्द होना, अस्थिरोग, बार- बार पीलिया होना, लीवर पर सूजन आना, मूत्राशय में रूकावट/दर्द होना, पित्ताशय में पथरी होना। जब किसी भी व्यक्ति को यह समस्याएँ होने लगें तो उसे रक्त की सिकल सेल एनीमिया के लिए जांच करवाना आवश्यक होता है|

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(sickle cell anemia ke prakar in hindi) सिकल सेल एनीमिया के प्रकार

यह रोग अनुवांशिक आधारित है। हर व्यक्ति को अपने माता-पिता के माध्यम से एक जीन मिलता है। अर्थात हर व्यक्ति में दो जीन होते हैं एक माता के द्वारा जबकि दूसरा पिता के द्वारा प्राप्त होता है। इस जीन में सामान्य प्रकार का Hb-A हीमोग्लोबिन हो सकता है अथवा एक में सामान्य और दूसरे में असामान्य Hb-S प्रकार का हीमोग्लोबिन हो सकता है, अथवा दोनों जीन मे असामान्य Hb-S प्रकार के हीमोग्लोबिन हो सकते हैं। असामान्य प्रकार के हीमोग्लोबिन वाली लाल रक्त कोशिका को सिकल सेल कहा जाता है। इस प्रकार के जीन पाने वाले व्यक्ति भविष्य में अपने बच्चों को वंशानुगत रूप से इसमें से किसी भी प्रकार के जीन दे सकते है जो सामान्य Hb-A या असामान्य Hb-S हो सकते हैं। सिकल सेल एनीमिया दो प्रकार का होता है पहले प्रकार को अंग्रेजी में सिकल वाहक कहा जाता है। जिसमे असामान्य हीमोग्लोबिन Hb-S का प्रमाण 50% से कम होता है तथा सामान्य Hb-A का प्रमाण 50% से ज्यादा होता है। जबकि दूसरे प्रकार को सिकल रोगी वाला व्यक्ति कहते है जिसमे असामान्य हीमोग्लोबिन Hb-S का प्रमाण 50% से अधिक लगभग 80% होता है तथा सामान्य हीमोग्लोबिन उपस्थित ही नहीं होता है।

  • प्रथम प्रकार अर्थात सिकल सेल वाहक: व्यक्ति रोग के वाहक के रूप में काम करते हैं अर्थात उनमे सिकल सेल के रोग के लक्षण स्थायी न होकर कभी – कभी दिखाई देते है| फिर भी ये व्यक्ति अपने बच्चों को वंशानुगत यह रोग दे सकते हैं।
  • दूसरे प्रकार के सिकल रोगी: यह वह व्यक्ति होते है जिनमें रोग के लक्ष्ण स्थायी रूप से रहते हैं, जिससे उनके शरीर का विकास रुक जाता है। ये लोग निश्चित ही अपने बच्चों को वंशानुगत यह रोग देते हैं।

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(sickle cell anemia ke lakshan) सिकल सेल के लक्ष्ण

जोड़ों में सूजन या दर्द होना, पित्ताशय की पथरी, बार- बार बुखार या जुकाम होना , तिल्ली का बढ़ जाना , लीवर पर सूजन आना, बच्चों का विकास न होना, रोग प्रतिरोधक शक्ति घटने से दूसरी बीमारियों का आसानी से होना आदि, इस बीमारी के लक्षण है यदि रोग का निदान न किया जाये तो जरुरी उपचार न मिलने से बचपन में ही बच्चे की मृत्यु हो सकती है।

  • विवाह से पहले लड़के और लड़की के खून की सिकल सेल के लिए जांच कराएं
  • यदि परिवार में किसी भी सदस्य को सिकल सेल एनीमिया हो तो परिवार के सभी सदस्यों के रक्त की सिकल सेल की जांच कराएं
  • यदि आप स्वयं सिकल सेल रोगी हैं (रक्त की जांच करने के बाद पता चला हो) तो डॉक्टर के पास जब दवा लेने जाएं तब डॉक्टर को अपनी बीमारी की सही जानकारी से अवगत कराएं जिससे आपको जरूरी दवाएँ मिल सकें और उपचार हो सके
  • याद रखें सिकल वाहक रोगी नहीं है, परन्तु सिकल वाहक (केरियर) हैं जबकि सिकल रोग एक रोग है | यह दोनों परिस्थितियां माता-पिता की तरफ से बच्चों को अनुवांशिक मिलती हैं
  • यदि आपको बार-बार पीलिया होता है, खून की कमी रहती है, जोड़ों में दर्द रहता है या चेहरे पर पीलापन अनुभव करते हैं तो अस्पताल में खून की जांच करवाएं
  • सिकल वाहक अथवा सिकल रोग वाले व्यक्ति का विवाह दूसरे सिकल वाहक अथवा सिकल रोग वाले व्यक्ति के साथ हुआ हो और स्त्री गर्भवती हो तो बच्चों में यह रोग होगा या नहीं इस बात की जांच 10 से 12 सप्ताह के गर्भ में से सैंपल लेकर किया जा सकता है| यदि बच्चें की सिकल रोग के साथ पैदा होने की संभावना है तो गर्भपात करवाया जा सकता है

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भूल से न करें ये काम

  • ज्यादा गर्मी या धूप में बाहर न निकलें
  • ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ों और हिल स्टेशन पर न जाएं
  • ज्यादा ठंडी में बाहर न निकलें
  • ज्यादा तकलीफ हो तो घरेलू उपचार न करते हुए अस्पताल में डॉक्टर से सम्पर्क करें

 

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