Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। एमपी में पुलिस प्रताड़ना का मुद्दा सियासी गलियारों में जोर-शोर से उछर रहा है। एमपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे दलित उत्पीड़न से जोड़ दिया है और सीधे-सीधे ये आरोप लगा दिया है कि अब एमपी दलित-आदिवासी उत्पीड़न की राजधानी बन चुका है। लेकिन, सवाल ये है कि क्या इसे कांग्रेस पार्टी इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी को बैकफुट पर ढकेल पाएगी ? या फिर ये सारी बयानबाजी दलित सेंटिमेंट को भुनाने के तहत हो रही है?
एमपी में पुलिस प्रताड़ना को लेकर सियासत उलझ गई है। कटनी के रेलवे पुलिस थाने से जो वीडियो वायरल हुआ उसने न सिर्फ एमपी बल्कि पूरे देश का ध्यान एमपी की पुलिसिंग की तरफ खींचा। पूछताछ के नाम पर थाना प्रभारी और स्टाफ ने 15 साल के नाबालिग और उसकी मां को जिस बेरहमी से पीटा गया, उसने एमपी में प्रशासन और पुलिसिंग पर उठ रहे सवालों को और बल दे दिया। कांग्रेस ने इसे दलित उत्पीड़न से जोड़कर बीजेपी सरकार को घेरा और कहा कि मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं अब दलित उत्पीड़न में एमपी देश की राजधानी बन चुका है और दलितों पर अत्याचार के लिए बीजेपी ने एमपी में खुली छूट दे रखी है। जीतू पटवारी पीड़ित परिवार से मिलने के लिए भी पहुंचे और उनके साथ हुई आपबीती सुनी।
कांग्रेस ने दलित उत्पीड़न पर सवाल उठाए तो बीजेपी की तरफ से कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार करते हुए कहा कि, जीतू पटवारी संवेदनशील मामले में राजनीति न करें। बीजेपी का कहना है कि वीडियो एक साल पुराना है और मामले पर सरकार ने मामले में सख्त कार्रवाई की है। अब कांग्रेस सवाल उठा रही है कि, अपने नंबर बढ़ाने के लिए मकान गिराने वाली सरकार क्या उस थाने टीआई पर बुलडोजर वाली कार्रवाई करेगी? लेकिन सवाल ये है कि एमपी में अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस, क्या फिलहाल दलित सेंटिमेंट को भुनाने में लगी है ? और क्या 1 साल पुराने इस मुद्दे पर कांग्रेस बीजेपी को घेर पाएगी?