भोपाल: मध्यप्रदेश में सीएम के चयन के बाद भाजपा का विधायक दल सीधे राजभवन पहुंचा। यहाँ उन्होंने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल से भेंट करने वालों में खुद विधायक दल के नेता मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा, नरेंद्र सिंह तोमर जैसे बड़े नेता शामिल थे। जबकि उनके साथ तीनो ही पर्यवेक्षक मनोहरलाल खट्टर, डॉ, के लक्ष्मण और आशा लाकड़ा मौजूद रही। वही अब राज्यपाल उनके विधायकों के सूची के आधार पर नए सीएम को नियुक्ति पत्र सौपेंगे और फिर शपथ ग्रहण को लेकर भाजपा नेताओं के बीच मंत्रणा होगी।
शिवराज कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे। विधायक दल की बैठक में उनके एकल नाम का प्रस्ताव सामने रखा गया जिसपर सभी विधायकों ने सहमति दे दी। हालाँकि इससे पहले प्रह्लाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर सबसे मजबूत दावेदार बनकर सामने आये थे लेकिन अंतिम वक्त में मोहन यादव के नाम पर सभी हैरान रह गए। शिवराज सिंह चौहान का पैर छूकर मोहन यादव ने आशीर्वाद भी लिया।
इसी तरह दो नए डिप्टी सीएम के नाम भी तय कर लिए गए है। मालवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जगदीश देवड़ा जबकि चम्बल क्षेत्र के कद्द्वार नेता और केंद्रीय मंत्री रहे नरेंद्र सिंह तोमर को मध्यप्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। बता दे कि करीब बीस सालों बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाये जाएंगे। इससे पहले की सभी सरकारों में मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान को ही कमान सौंपी जाती रही।
वही इस नए मनोनयन के बीच सबसे हैरानी दो सबसे संभावित नाम नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल के नामों को लेकर है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही नाम सीएम पद प्रबल दावेदार थे बावजूद विधायक दल में केवल एक नाम का ही प्रदस्ताव रखा गया जो मोहन यादव का था। अब ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या मोहन यादव का नाम दिल्ली में पीएम और एचएम ने पहले ही तय कर लिया था? और अगर ऐसा है तो फिर परिणाम के बाद कैसे मोहन यादव के बजाये पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वय तोमर और प्रह्लाद पटेल को सीएम बनाने की चर्चा हर तरफ होती रही?
25 मार्च 1958 को महाकल की नगरी उज्जैन में जन्मे मोहन यादव मध्यप्रदेश के बेहद लो प्रोफ़ाइल चेहरों में रहे है। वे आरएसएस के बेहद करीबी होने के साथ ही केंद्र में मोदी और शाह के भी पसंदीदा नेता माने जाते है। संभावना जताई जा रही है कि मोहन यादव का नाम दिल्ली में ही फाइनल हो गया था लेकिन विधायक दल की बैठक के बाद नाम पर मुहर लग सकी। इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव सीएम लिए एकल था यानी पहले जहाँ प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय का नाम मीडिया में सामने आ रहा था तो भीतर विधायक दल की बैठक में इन नामों पर कोई चर्चा ही नहीं हुई। मोहन यादव इससे पहले शिवराज सिंह कैबिनेट में उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे। फ़िलहाल वह उज्जैन दक्षिण से विधायक है।
बात करे मोहन यादव के सियासी सफर की तो उन्होंने माधव विज्ञान महाविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री का कमान भी संभाल चुके हैं। मोहन 1982 में छात्र संघ के सह-सचिव भीरह चुके है। वे मध्यप्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी के सदस्य और सिंहस्थ मध्य प्रदेश की केंद्रीय समिति के सदस्य, मध्य प्रदेश विकास प्राधिकरण के प्रमुख, पश्चिम रेलवे बोर्ड में एडवाइजरी कमेटी के मेंबर भी रह चुके हैं।
राज्य के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव एमपी के सबसे हाई एजुकेटेड नेताओं में शुमार है। 2013 में वह पहली बार उज्जैन सीट से चुनावी मैदान में थे। इस बार मिली जीत के बाद 2018 में भी उन्होंने चुनाव लड़ा और जीते। इस बार उन्हें शिवराज सिंह चौहान ने उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया। इस बार उन्होंने उज्जैन साउथ सीट से कांग्रेस उम्मीदवार चेतन प्रेमनारायण यादव को 12,941 वोटों के अंतर हराया और चौथी बार सीट पर कब्जा जमाया। चुनाव आयोग में जमा किये गए दस्तावेजों और हलफनामें के मुताबिक़ उनके पास बीएससी, एलएलबी और एमए राजनीतिक विज्ञान की डिग्री है. इसके अलावा बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए और पीएचडी के डिग्री होल्डर भी हैं। चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपने आय के साधन के तौर पर कृषि और व्यवसाय का जिक्र किया है। मोहन यादव की पत्नी का नाम सीमा यादव है। उनके 2 पुत्र और एक पुत्री हैं।