(मनीष श्रीवास्तव)
भोपाल, दो दिसंबर (भाषा) भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के एक पूर्व वैज्ञानिक के लिए तीन दिसंबर, 1984 एक सामान्य कार्य दिवस था। इस दिन की शुरुआत बस के इंतजार से होती है, सूचना के सीमित स्रोतों के दिनों में उन्हें सबसे भयानक गैस रिसाव त्रासदी के बारे में उस सुबह पता ही नहीं था।
नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर वैज्ञानिक ने बताया कि उस दिन वह सुबह लगभग आठ बजे अरेरा कॉलोनी में अपने घर से निकले और उम्मीद की कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने तक पहुंचने के लिए अपनी बस पकड़ लेंगे हालांकि, जैसे-जैसे मिनट बीतते गए और सुबह 8:30 बजे तक बस नहीं पहुंची, तो उनकी बेचैनी बढ़ने लगी।
उन्होंने कहा कि उस वक्त इंटरनेट, मोबाइल फोन या सोशल मीडिया की अनुपस्थिति में, लोग अपने शहर और देश में होने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी के लिए लैंडलाइन फोन, टेलीग्राम, रेडियो बुलेटिन, समाचार पत्र, पान और चाय की दुकानों पर निर्भर रहते थे।
वैज्ञानिक ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘जब हम बस का इंतजार कर रहे थे, तो एक राहगीर ने हमें घबराहट में बताया कि गैस लीक हो गई है, जिससे कई लोगों की मौत हो गई है। मैंने पान की दुकान पर गैस त्रासदी के बारे में सुना। अफवाहें जंगल में आग की तरह फैल रही थीं, और हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और अन्य लोगों ने ऑटो-रिक्शा में कारखाने जाने का फैसला किया। हमने देखा कि लोग श्यामला हिल्स के ऊपर स्थित कार्यालय के रास्ते में इधर-उधर भाग रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यूनियन कार्बाइड कारखाने में, हमने गेट पर पुलिस की तैनाती देखी। पुलिस ने हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी।’’
वैज्ञानिक ने कहा कि उन्होंने सुना कि संयंत्र से गैस लीक हो गई है और सरकारी हमीदिया अस्पताल में ‘‘शवों का ढेर लगा हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, कंपनी प्रबंधन ने हमें एक संदेश के माध्यम से सूचित किया कि कारखाना दिन भर बंद रहेगा और हमें घर जाने के लिए कहा गया।’’
वैज्ञानिक ने कहा कि वह सुबह करीब 9:45 बजे के आसपास घर लौट आए। कारखाने के कर्मचारियों को अपने घरों से बाहर न निकलने के लिए कहा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के बीच गुस्से को देखते हुए हमें अपनी सुरक्षा के मद्देनजर कार्बाइड में काम करने वाले अपने नाम-पट्टिका हटाने के लिए भी कहा गया।’’
वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर गोपाल जैन ने कहा कि किसी को नहीं पता था कि वास्तव में क्या हुआ और अफवाहें तेजी से उड़ रही थीं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘रात करीब 2:30 बजे, एक महिला रिश्तेदार लाल और सूजी आंखों के साथ टीन शेड इलाके में मेरे घर आई। उसने हमें बताया कि डकैतों ने बड़ी संख्या में लाल मिर्च जलाकर पुराने भोपाल इलाके पर हमला किया है। उसने कहा कि पूरा इलाका धुएं में डूबा हुआ है।’’
जैन तुरंत अपने घर से बाहर निकले और देखा कि कई लोग पुराने भोपाल इलाके से नए भोपाल की ओर भागे चले आ रहे हैं।
जैन ने याद करते हुए कहा, ‘‘तीन दिसंबर की सुबह जब मैं हमीदिया अस्पताल गया, तो बात साफ हो गई। वहां अफरा-तफरी का माहौल था। अस्पताल में कई शव पड़े थे।’’
उन्होंने बताया कि उन्हें अस्पताल में गैस रिसाव की त्रासदी के बारे में पता चला।
दो-तीन दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई, जिसमें 5,474 लोग मारे गए और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए।
भाषा दिमो रवि कांत शफीक
शफीक