Married by taking the oath of the constitution: बैतूल। अभी तक आपने शादी के कई मामले सुने होंगे लेकिन आज हम आपको ऐसी अनेखी शादी के बारे में बताने जा रहे है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। अक्सर लोगों ने मंत्रोचार या अन्य तरह से वर-वधु को परिणय सूत्र में बंधते देखा होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे वर वधु को मिलवाने का रहे है जो भारतीय संविधान की शपथ लेकर संविधान की उद्देशिका को पड़कर 12 सालों से प्रेम कर रही अपनी प्रियसी के परिणय सूत्र में बंधे है। मामला बैतूल जिला मुख्यालय का है यहां के रहने वाले दर्शन नाम का यह युवा पेशे से जिला न्यालय में अधिवक्ता है। आज इन्होंने अपने अपनी प्रियसी से संविधान की उद्देशिका को पड़कर विवाह किया है। जो समाज को एक नई दिशा देगा। दर्शन के विवाह कार्यक्रम में रिश्तेदारों के साथ-साथ न्यायालय के अधिवक्ता ने भी शिरकत की और वर-वधु को आशीर्वाद देकर उनकी इस अनोखी पहल को सराहा।
Married by taking the oath of the constitution: वकील दर्शन का कहना है जिस प्रकार पूरे देश में जाती की जड़े फैल रही है। गुजरात उत्तर प्रदेश में जाति के आधार पर डिस्क्रिमिनेशन हो रहा है और जाती और कास्ट के आधार पर डिस्क्रिमिनेशन निरंतर बढ़ता जा रहा है। हम लोगों ने डिसीजन लिया था कि जो हमारा संविधान है जो देश के सभी नागरिकों को चाहे वो किसी भी जाती, धर्म, लिंग, किस भी समुदाय का हो कास्ट बेसिस पर डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जायेगा। हम लोगों ने संविधान की प्रस्तावनाओं को पढ़ते हुए जो इस देश में सभी जाति धर्म समुदाय और लिंग को बराबर का अधिकार देता है। उसको पढ़कर हमने कार्यक्रम की शुरुवात की।
Married by taking the oath of the constitution: भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत जो हमे राइट टू चूस जो हमारा फंडामेंटल राइट है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बोला है कि जो आपकी पसंद का अधिकार है वो आपका मौलिक अधिकार है। उसी का इस्तेमाल करते हुए वधु राजश्री का कहना है कि संविधान ने जो हमें मौलिक अधिकार दिए ही जिसे कोई नहीं छीन सकता उनमें से एक अधिकार है स्वतंत्रता का अधिकार अपनी पसंद को चुनने का अधिकार है। जो कि किसी के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उसी का उपयोग करते हुए इस परिणय सूत्र में बंधे हम लोग।
Married by taking the oath of the constitution: इस मौके पर शिक्षक दुल्हन ने हा कि मैं सभी माता पिता को यह सन्देश देना चाहती हूं कि सभी बच्चे अपने पेरेंट्स का कहना मानते है। उसी तरह पेरेंट्स भी एक बार अपने बच्चों की बातें सुन ले ओर समझे क्योंकि डिसीजन किसी एक का नहीं हो सकता है अगर एक परिवार मिलकर जब डिसीजन लेता है तो वो रिश्ता आगे तक बढ़ता है इसलिए सभी को अपने पेरेंट्स की सुन्ना चाहिए और पेरेंट्स को भी बच्चो की सुन्ना चाहिए ताकि एक सहमति बने और सभी का जीवन सुखमय बने।
Married by taking the oath of the constitution: विवाह में आशीर्वाद देने पहुंचे जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत गर्ग का कहना है की आज के समय भावना चल रही है लेन देन की ज्यादा प्रथा चल रही है। उन सब चीजों से हटकर उसने जो ये कदम उठाया है वो बहुत अच्छा है और प्रेरणादायक हैं। जिन युवाओं का विवाह होना है अगर वो इस थार विवाह करें तो दोनों परिवार का खर्च भी बचेगा भावना भी अच्छी आएगी एकता भी रहेगी दोनों परिवार और वर वधु भी अच्छे रहेंगे।
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