बालाघाट। अमूमन यह देखा जाता है कि हम अपने परिवार के लिए खाने के फल लेकर घर आते है, जिसको खाने के बाद उसमें से बीज या गुठली निकलती है। इन बीजों और गुठलियों को बाहर फेंक देते है जो कि सड़ कर खराब हो जाता है या डस्टबीन में डाल देते है, लेकिन यह गुठली बड़े ही काम की चीज है। जी हां… बालाघाट के एक पर्यावरण प्रेमी जो कि शासकीय सेवक भी है उन्होंने अनूठी पहल करते हुए अपने घर या आस पास के घरों से फलों के गुठली या बीजों को इकठ्ठा कर सीड्स बॉल बनाकर बरसात के मौसम में गार्डन, जंगल या आसपास के इलाको में रोप देते हैं, जिससे यह फिर से दोबारा फलदार पेड़ बन जाता है। पर्यावरण संरक्षण के दिशा में इस पहल ने एक अनूठी मिसाल पेश की है।
ग्राम्या बीज बैंक में मिलेंगे हर तरह से सीड्स बॉल
आप जो यह नजारा देख रहे है यह बालाघाट का है, जहां एक पर्यावरण प्रेमी मनोज पटले नामक पिता ने अपने डेढ़ साल की पुत्री ग्राम्या और आस-पास के नन्हे मुन्ने बच्चो के साथ मिलकर “बीज बैंक” पर काम करना शुरू किया, जिसमें डेढ़ साल की उनकी बेटी “ग्राम्या” और आस पास के बच्चों ने भी साथ देते हुए मिट्टी से बने सीड्स बॉल तैयार कर रहे हैं। इस बीज बैंक का नाम “ग्राम्या बीज बैंक” रखा है।
गौरतलब है यह अपने घर में साल भर खाये जाने वाले फलों के बीज और गुठलियां डस्टबीन में फेंकते नहीं हैं बल्कि उन्हें सुखाकर सुरक्षित रख लेते हैं। बरसात के मौसम आने के पहले हजारों की संख्या सीडस बॉल तैयार करते हैं, जिसके बाद पॉलिथीन में मिट्टी भरकर उनमें इन बीजों को लगा देते हैं या बीजों को खेत की मेढ़, जंगल, खुली जगह, सड़क किनारे फेंक देते थे ताकि वे बीज उग सकें।
कैसे तैयार होती है सीड्स बॉल
मनोज पटले अपने बच्चो और आस पास रहने वाले परिवार के बच्चों के साथ मिलकर पहले यह आस पास के लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए घर में लाए गए फलों के बीज को फेंकने से मना करते हैं और उसे सुरक्षित सुखाकर रखने प्रेरित करते हैं। फिर उन बीजों को इकठ्ठा करके जैविक मिट्टी का बॉल बनाकर उसमें इन बीजों को डाल कर छाया में उसे सुखा लिया जाता है। जैसे ही बारिश का मौसम आता है इस सीड्स बॉल को आस पास के इलाको के गार्डन, खुली जगह ,जंगलों, खेतों के मेढ़ में गाड़ दिया जाता है, जो कि कुछ दिनों में ही एक फलदार पेड़ का रूप ले लेती है।
पर्यावरण प्रेमी मनोज पटले पहले यह कार्य अपने परिवार के साथ ही करते थे, लेकिन धीरे-धीरे आस पास लोग और उनके बच्चे भी इनसे जुड़ने लगे और बारिश के मौसम के पहले साल भर इस प्रकार ही सीडस को इकट्ठा करते हैं। सबसे गौर करने वाली बात है कि बच्चे गर्मियों की छुट्टी का उपयोग यह कार्य करते हुए बिताते हैं। इसके साथ है स्कूल से फ्री होकर जब घर आते है तो कुछ टाइम यह कार्य करने में बिताते है। इस साल पिता-पुत्री ने दोनों फलों के बीज इकट्ठा करके बीज बैंक तैयार किया है। सीड बैंक में हजारों की संख्या में बीज इकट्ठा हुए है, उनकी सीड बॉल तैयार किये हैं। अब अच्छी बरसात हो रहीं है तो उन सीड बॉल्स को बालाघाट के आसपास डेंजर रोड, शंकर घाट, जागपुर घाट, बजरंग घाट और लामता रोड पर सड़क किनारे, खुली जगह, जंगल आदि जगहों में फेंक रहे हैं। IBC24 से हितेन चौहान की रिपोर्ट