पीथमपुर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान मजदूरों की हाजिरी में पांच से सात फीसद की गिरावट : संगठन

पीथमपुर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान मजदूरों की हाजिरी में पांच से सात फीसद की गिरावट : संगठन

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  • Publish Date - January 7, 2025 / 07:53 PM IST,
    Updated On - January 7, 2025 / 07:53 PM IST

इंदौर, सात जनवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन खतरनाक कचरे के निपटान की योजना को लेकर विरोध प्रदर्शनों के चलते गुजरे चार दिनों के दौरान कारखानों में मजदूरों की हाजिरी में पांच से सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इस क्षेत्र के एक औद्योगिक संगठन के शीर्ष पदाधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

भोपाल में बंद पड़े कारखाने का अपशिष्ट दो जनवरी को पीथमपुर में एक निजी कंपनी की संचालित अपशिष्ट निपटान इकाई लाया गया था। इसके बाद पीथमपुर में पिछले सप्ताह हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे।

पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया, ‘‘पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद तीन जनवरी से छह जनवरी के बीच कारखानों में मजदूरों की उपस्थिति में पांच से सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इससे कारखानों में मामूली तौर पर काम-काज प्रभावित हुआ।’’

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपशिष्ट के निपटान के लिए छह सप्ताह के भीतर कदम उठाए।

कोठारी ने इस निर्देश का स्वागत करते हुए कहा कि पीथमपुर में गुजरे चार दिनों के दौरान गैर हाजिर रहे मजदूर अब काम पर लौटने शुरू हो गए हैं और हफ्ते भर के भीतर कारखानों में कामगारों की हाजिरी पूरी तरह सामान्य होने की उम्मीद है।

उन्होंने यह भी बताया कि उनका औद्योगिक संगठन प्रशासन के साथ बैठकें कर रहा है और यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान की योजना के बारे में मजदूरों द्वारा पूछे जा सकने वाले प्रश्न व इनके उत्तर तैयार कर रहा है।

कोठारी ने बताया, ‘‘हम इन संभावित सवालों के जवाब तैयार करके हर कारखाने में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। इन कार्यक्रमों में मजदूरों को यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान की योजना के बारे में तथ्यात्मक जानकारी दी जाएगी।’’

पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में करीब 1,250 इकाइयां हैं जहां हजारों मजदूर काम करते हैं। इनमें देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं।

भाषा हर्ष अमित

अमित