cow’s funeral: नीमच। एक तरफ जहां हजारों गायों को लोग इसलिए सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं कि उन्होंने अब दूध देना बंद कर दिया है या फिर वे बूढ़ी बीमार हो गई है। ताउम्र उस गाय का दोहन करने के बाद अंतिम समय में भड़कने के लिए छोड़ दिया जाता है। वहीं कुछ गोपालक ऐसे भी हैं जो इन्हें अपने परिवार का सदस्य की तरह मानते हैं और ताउम्र उनकी सेवा करते हैं। गाय की मौत के बाद अपने परिवार के सदस्य की तरह ही अंतिम संस्कार भी करवाते हैं।
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cow’s funeral: गौ सेवा का एक ऐसा ही मामला नीमच जिले के गांव भादवा माता से सामने आए हैं। यहां के रहने वाले नरेश गुर्जर नामक एक व्यक्ति ने अपनी गाय की मौत के बाद 4 दिन तक उसका शोक मनाया। इतना ही नहीं इनके द्वारा गाय का पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और गौमाता को मोक्ष मिले इसी कामना से 11 सो ब्राह्मण परिवार के लोगों को शनिवार को भोजन कराया।
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cow’s funeral: दरअसल नरेश गुर्जर ने साल 2008 में गाय कि छोटी बछिया खरीदी थी। जिसे घर वालो ने प्यार से नाम गौरी दिया था। गोरी ने 14 साल तक गुर्जर परिवार का पालन पोषण किया गया। तो परिवार ने भी गौरी की देखरेख एक परिवार के सदस्य की तरह ही की। पिछले बुधवार को वृद्धावस्था और बीमारी के चलते गोरी की मौत हो गई। इस दौरान परिवार ने गोरी का खूब इलाज भी करवाया पर बचा न सके।
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cow’s funeral: गोरी की मौत से परिवार में मातम छा गया। बाद ने गुर्जर परिवार ने गोरी का विधीविधान से अपनी जमीन पर अंतिम संस्कर कर दफनाया। 4 दिन का शौक भी रखा सभी कामों से दूरियां बनाई। वहीं शनिवार को गुर्जर द्वारा वेद पाठी ब्राह्मणों से गाय कि आत्म शांति के लिए पुजा पाठ करवाकर 11 सौ से अधिक ब्राह्मण परिवार के लोगों का ब्रह्मभोज करवा कर उन्होंने समाज को ये संदेश दिया कि गौमाता हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है और इन्हें आवारा सड़कों पर लोग ना छोड़े उसका सम्मान करें और अधिक से अधिक लोगों माता से जुड़े और गायों के प्रति प्रेम रखें।