Reported By: Vaibhav Sharma
,अलीराजपुर।Alirajpur News: अलीराजपुर से क़रीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह प्राचीन पंचलिंगेश्वर महादेव मंदिर। अपनी अद्भुत स्थापत्य कला की वजह से यह मंदिर ख़ासा विख्यात है। जब से पुरातत्व विभाग और पर्यटन विभाग ने इसे संरक्षित कर इसका प्रचार-प्रसार किया है। उसके बाद से दूर-दूर से लोग इस मंदिर को देखने आते हैं। दरअसल ठेठ आदिवासी अंचल में बने इस मंदिर में एक ही पत्थर पर पाँच शिवलिंग बने हैं इसीलिए इसे पंचलिंगेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। इस मंदिर को लेकर कई कथाएँ और किवदंतियाँ प्रचलित है।
स्थानीय ग्रामीण बताते है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग चमत्कारिक है, मान्यता है कि यहाँ पूजन कर दर्शन करने से सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। वहीं यह मंदिर अपनी पाषाण शैली के लिए भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसकी शैली खजुराहो के मंदिरों एवं हिमाचल के बैजनाथ मंदिर से मिलती जुलती है। पत्थरों पर हाथ से नक़्क़ाशी कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है, जिसमें इसी मंदिर की संपूर्ण आकृति के ही छोटे-छोटे मंदिर उकेरे गए हैं तथा इनमें प्राचीन देवी-देवताओं की आकृतिया भी शामिल है।
Alirajpur News: ग्रामीण इसे पांडवकालीन मंदिर भी बताते है, कहा जाता है कि अपने वनवास के दौरान पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था। मालवई गाँव के स्थानीय निवासी ही यहाँ मंदिर में पूजा – पाठ कर इसकी देखरेख करते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार एक बार इस मंदिर का रखरखाव कर इसे भूल गई है जबकि अभी यहाँ और भी कार्य करने की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने सरकार से इस प्राचीन मंदिर को संरक्षित कर इसके संपूर्ण जीर्णोद्धार की माँग भी की है।