आगर मालवा: Children forced to study in dilapidated school walls in Agar-Malwa आगर मालवा जिले में कई जर्जर स्कूल है जो खुलेआम हादसों को आमंत्रित करते हुए दिखाई दे रहे हैं, वर्षो पुराने स्कूल काफी जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं, लेकिन जवाबदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। बारिश से टपकती छतों से बिल्डिंगों के हालात कुछ इस तरह बिगड़ गए हैं कि न जाने कब ये स्कूल ढह जाए। यही कारण है कि बच्चों को शिक्षा देने के लिए मन्दिर तक का सहारा लेना पड़ रहा है। एक ओर सरकार ने स्कूल चले हम अभियान शुरू कर बच्चों को बेहतर माहौल में अच्छी शिक्षा देने का दावा किया जा रहा है लेकिन आगर मालवा जिले के कुछ ग्रामो में सरकार की मंशा पर जिम्मेदार पलीता लगाते दिख रहे है।
आखिर कैसे पढ़े और कैसे बढे हम, सरकार। मंदिर के आंगन में लग रहे इस सरकारी स्कूल के हालात देखकर तो यही कहा जा सकता है। मन्दिर के आंगन में लगाया जा रहा यह स्कूल आगर मालवा जिले के चक पचौरा ग्राम का शासकीय प्राथमिक स्कूल है जिसमे करीब 62 बच्चे दर्ज है। इस स्कूल के वर्तमान भवन की स्थिति बेहद जर्जर होकर चिंताजनक हो चुकी है। जो कि यहां पर पढ़ने वाले बच्चो के लिए किसी दिन भी हादसे का सबब बन सकती है। भवन की छत के छज्जे लटक चुके है और दीवारो में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी है जिसके चलते स्कूल में पडने वाले नौनिहाल डर के साये में अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहें है । बारिश में छत में पड़ी दरारों से पानी टपकता रहता है, इस कारण पढाई तो प्रभावित होती ही है, साथ ही मासूम बच्चों के ऊपर खतरा मंडराता रहता हैा
स्कूल के जर्जर भवन के चलते इन नौनिहालो के पालक भी परेशान है। ग्रामीणों के अनुसार बारिश में स्कूल की छत से पानी धारा की तरह टपकता है जिसके चलते बच्चों को कई बार स्कूल ही नहीं भेजते है। समय रहते यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी दिन यहां बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों के अनुसार संबंधित अधिकारियों से कई बार अनुरोध किया गया, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है।
Children forced to study in dilapidated school walls in Agar-Malwa वर्षो पूर्व निर्मित यह भवन अब बच्चों के लिए अनुकुल नहीं दिखाई देता है। स्कूल में पढाने वाले शिक्षक भी इस समस्या से परेशान है कि आखिर वो बच्चो को कहां बैठाकर पढ़ाए, कहीं जर्जर भवन के चलते कुछ हादसा ना हो जाए, क्योंकि पहले भी यहां हादसे हो चुके हैं। उनके अनुसार कई बार वह भी अपने वरिष्ठो को इस बारे में बता चुके हैं परन्तु उनके द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा हैा इस तरह के हालात किसी एक स्कूल के नहीं है, बल्कि कई सारे स्कूलों के है। इसी स्कूल से कुछ दूरी पर स्थित पचौरा ग्राम के माध्यमिक स्कूल के हालात भी इससे कुछ जुदा नहीं है।
स्कूल भवन की छत के जर्जर होने के कारण उसका प्लास्टर कभी भी गिरता रहता है। बारिश में तो पानी टपकने के साथ साथ प्लास्टर गिरने की समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में डर के साये में पड़ने कुछ ही बच्चे पहुंचते है। ऐसे में कुछ ग्रामीण तो मजबूरी में अपने बच्चो को निजी स्कूल में पड़ने भेज रहे है। मामले में नवागत जिला कलेक्टर के अनुसार जिले के सभी जर्जर स्कूल भवनों की जानकारी ली जा रही है।
Children forced to study in dilapidated school walls in Agar-Malwa फिलहाल शीघ्र ही जर्जर भवनों के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। मामलेे में जिम्मेदार हमेशा की तरह शीघ्र ही ऐसे स्कुलो की समस्या दूर करने की बात तो करते दिखाई देते हैं, परन्तु वास्तव में धरातल पर ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं देता हैा