भोपाल: Water Harvesting System in Bhopal लगातार बढ़ते तापमान से भोपाल समेत कई शहरों में जल संकट बढ़ता जा रहा है। जल संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की दिशा में भी प्रशासन ध्यान नहीं दे रही है। मध्यप्रदेश में वाटरस हार्वेस्टिंग सिस्टम की क्या स्थिति है।
Water Harvesting System मध्यप्रदेश में गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ पानी की समस्या भी बढ़ती ही जा रही है। MP के 23 जिले ऐसे हैं जिन्हें हर साल सूखा-प्रभावित सूची में रखा जाता है। इस समस्या के निजात पाने के लिए केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का खाका भी सरकार ने तैयार किया लेकिन अब तक परियोजना को मूर्त रूप देने में अभी भी वक्त है। लिहाजा पानी की इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग की दिशा में रूख किया लेकिन जिम्मेदारों ने इसे भी जमीनी खाका पहनाने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की।
प्रदेश की 60 फीसदी सरकारी इमारतें वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से महरूम हैं, तो सरकारी दफ्तरों की नगरी राजधानी भोपाल में सालों बाद भी ये आंकड़ा 40 प्रतिशत का है। जबकि सभी सरकारी संस्थानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है। 140 वर्गमीटर से अधिक के प्लॉट साइज में बिल्डिंग परमिशन के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का प्रावधान है। इधर भूजल बोर्ड की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश में हर साल हर जिले में औसतन 60 से 175 फीट तक भूमिगत जल कम होता जा रहा है।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर अधिकारी हर बार की तरह इस बार भी पुख्ता तैयारी का दावा कर रहे हैं, तो विभाग ने भी इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। यह भी दावा किया जा रहा है कि जल्द से जल्द बची हुई सरकारी इमारतों में भी सिस्टम लगाया जाएगा।
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से एक घंटे की तेज बारिश में 1 हजार वर्ग फीट पर 20 हजार लीटर पानी बचाया जा सकता है और अगर पूरे सीजन में औसत बारिश हो तो 1 हजार वर्ग फीट पर वाटर हार्वेस्टिंग से 7 से 8 लाख लीटर पानी सहेजा जा सकता है। जल संरक्षण के लिए वरदान कहे जाने वाले सालों पुराने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की अनदेखी, जल संरक्षण के प्रति प्रशासन की संवेदनहीनता को बयां करती है।
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Summary : कई शहरों में बढ़ता जल संकट |MPके 60% सरकारी ऑफिस में मौजूद नहीं Water Harvesting System |देखिए Report