2023 की तैयारी…हिंदुत्व पड़ेगा भारी! बहुसंख्यक वोटरों को साधे बिना आसान नहीं होगा मुकाबला

बहुसंख्यक वोटरों को साधे बिना आसान नहीं होगा मुकाबला! 2023 contest will not be easy without the majority voters

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  • Publish Date - March 12, 2022 / 11:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

रिपोर्ट- नवीन कुमार सिंह, भोपाल: 2023 contest will not be easy  यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उत्साह से लबरेज एमपी बीजेपी अब मिशन 2023 की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी को उम्मीद है कि जिस तरह हार्ड हिंदुत्व का एजेंडा यूपी में कारगर साबित हुआ, एमपी में भी असरकारक साबित होगा। दूसरी ओर कांग्रेस यूपी के नतीजों से सबक लेते हुए नई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। बहुसंख्यक वोटर्स को साधने कांग्रेस भी अब हार्ड हिंदुत्व की तरफ कदम बढ़ाने जा रही है, ताकि वो बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व का मुकाबला कर सकें।

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2023 contest will not be easy  इसके लिए कांग्रेस कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में हुए धर्म कर्म राम वन गमन पथ, महाकाल मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 300 करोड़ का बजट, महाकाल से ओंकारेश्वर तक ओम सर्किट का निर्माण, पुजारियों को मानदेय,1000 गौशालाओं का निर्माण, पवित्र नदियों की स्वच्छता और संरक्षण के काम को जनता के सामने ले जाने की तैयारी मे है। कांग्रेस को उम्मीद है कि बहुसंख्यक वोटर्स को रिझाने की इस कवायद में वो जरुर कामयाब होगी।

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उत्तरप्रदेश के चुनावी नतीजों को देखते हुए भगवान राम को अपना ब्रांड एम्बेसडर मानने वाली बीजेपी इनदिनों शिव की शरण में है। शिवराज सरकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह ही उज्जैन में 750 करोड़ की लागत से भव्य महाकाल कॉरिडोर बनाने जा रही है। खबर है कि अगले चुनाव के पहले इसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके अलावा 2 हजार करोड़ की लागत से ओंकारेश्वर में स्टैचू ऑफ वननेस का निर्माण की मंजूरी भी दे दी है। मकसद साफ है 2023 कि विधानसभा चुनावों के पहले बहुसंख्यक वोटर्स को अपने एजेंडे में सेट करना। जाहिर है बड़े वोट बैंक को साधने के लिए न सिर्फ बीजेपी संगठन बल्कि सरकार भी कदमताल कर रही है।

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बहरहाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों इन कोशिशों के जरिए 2023 के चुनाव में माइलेज लेना चाहती है। कांग्रेस जहां कमलनाथ शासन के 15 माह के कार्यकाल में सॉफ्ट हिंदुत्व का जो ट्रेलर दिखाया था, उसे अब फिल्म बनाकर जनता के सामने पेश करने की तैयारी में है। शायद कांग्रेस को इस बात का एहसास है कि बहुसंख्यक वोटरों को साधे बिना बीजेपी से मुकाबला करना आसान नहीं होगा।

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