SarkarOnIBC24: कमलनाथ के ‘किले’ में सेंधमारी! ‘हनुमान’ ने छोड़ा साथ, क्या कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में मात दे पाएगी बीजेपी?

Chhindwara Lok sabha Chunav 2024: कमलनाथ के 'किले' में सेंधमारी! 'हनुमान' ने छोड़ा साथ, क्या कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में मात दे पाएगी बीजेपी?

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  • Publish Date - April 5, 2024 / 11:55 PM IST,
    Updated On - April 5, 2024 / 11:59 PM IST

भोपाल: Chhindwara Lok sabha Chunav 2024 इधर ऐन चुनाव से पहले मध्यप्रदेश की हाईप्रोफाइल और पूर्व सीएम कमलनाथ की पारंपरिक सीट छिंदवाड़ा में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है तो बीजेपी ने विजय पताका फहराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है कमलनाथ के किले में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने एक एक कर उनके करीबियों को तोड़ना शुरू कर दिया है। कमलनाथ के करीबी महापौर, विधायक के साथ पूर्व विधायक पाला बदल चुके हैं और अब चार दशक से कमलनाथ के हनुमान उनकी परछाई कहे जाने वाले दीपक सक्सेना छिंदवाड़ा से भोपाल पहुंच चुके हैं। किसी भी वक्त बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

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Chhindwara Lok sabha Chunav 2024 इस तस्वीर में दीपक सक्सेना कमलनाथ के कंधे पर हाथ रखकर खड़े है। इसमें दो शख्स हैं। पहले गांधी परिवार के सबसे विश्वसनीय करीबी कमलनाथ की है और उनके कंधे पर हाथ रखकर खड़े शख्स हैं दीपक सक्सेना। आप सोच रहे होंगे कि इस तस्वीर को क्यों दिखाया जा रहा है, दरअसल दीपक सक्सेना वो शख्स हैं जिन्हें कमलनाथ का हनुमान कहा जाता है, लेकिन कमलनाथ के साथ हमेशा परछाई की तरह रहने वाले दीपक सक्सेना ने उनका साथ छोड़ दिया।

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दीपक सक्सेना के बेटे पहले ही बीजेपी का दामन थाम चुके थे और अब दीपक सक्सेना भी बीजेपी के पाले में चले गए..ये कदम उठाने के पीछे की वजह या जिम्मेदार दीपक के बेटे अजय सक्सेना कांग्रेस और कमलनाथ को ही ठहरा रहे हैं। वैसे छिंदवाड़ा में केवल दीपक और अजय सक्सेना ने ही कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह, छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके, पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह रघुवंशी और कमलनाथ के सबसे ख़ास सैयद जाफ़र सहित छिंदवाड़ा के दो हजार से अधिक कांग्रेसी बीजेपी में शामिल हो चुके है.. कमलनाथ के करीबियों के लगातार साथ छोड़ने पर उनकी बहु प्रिया नाथ ने कहा कि जब अग्नि परीक्षा का समय आया तो कमलनाथ के अपनों ने उन्होंने धोखा दिया।

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एक तरफ बीजेपी मिशन छिंदवाड़ा के लिए कमर कस चुकी है, कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ को जीतने तमाम सियासी दांवपेंच चल रही है..लेकिन छिंदवाड़ा का सियासी इतिहास बताता है कि बीजेपी की राह इतनी आसान नहीं। 1971 से लेकर 1996 तक यहां की जनता ने कांग्रेस के कैंडिडेट को सांसद चुना। उसके बाद 1997 में हुए उपचुनाव में सिर्फ एक बार बीजेपी जीती। उसके बाद 1998 से 2014 तक कांग्रेस की टिकट पर कमलनाथ चुनाव जीते। अब उनके बेटे नकुलनाथ यहां से सांसद हैं। नकुल नाथ का ये दूसरा चुनाव है, उनके सामने बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारकर तगड़ी घेराबंदी की है। यानी छिंदवाड़ा में कांग्रेस के सामने अपने कुनबे को संभालने के साथ अपने किले को बीजेपी से बचाने की भी चुनौती है।

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा की सभी 7 सीट जीती थी। लेकिन अमरवाड़ा विधायक कमलेश प्रताप शाह के इस्तीफा देने के बाद समीकरण तेजी से बदले हैं। खैर विधानसभा में तो इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला। लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ी रणनीतिक जीत है। अब बीजेपी कमलनाथ को उनके गढ़ छिंदवाड़ा में मात देने में कामयाब होती है या नहीं ये तो आगामी 4 जून को पता चलेगा।

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