नई दिल्ली: Amit Shah Fake Video Case लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज से पहले आरक्षण पर सियासी लड़ाई तेज हो चली है। भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर आरक्षण को खत्म करने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री अमित शाह के एक वायरल वीडियो पर सियासी बवाल शुरू हो गया है। बीजेपी ने इसे फेक वीडियो बताकर कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है तो मामले में दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को तलब किया है।
Amit Shah Fake Video Case केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एडिटेड वीडियो को शेयर करने को लेकर दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को नोटिस जारी किया गया है. पुलिस ने अमित शाह के फेक वीडियो को प्रसारित करने के मामले में रेड्डी को नोटिस जारी करते हुए अपने मोबाइल फोन के साथ 1 मई को पूछताछ के लिए बुलाया है। इधर पीएम मोदी ने भी ऐसे लोगों को सबक सीखाने की बात कही।
यानी तीसरे फेज की लड़ाई से पहले एक बार फिर आरक्षण का जिन्न बाहर निकला है। बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगा रहे हैं। चलिए अब आपको अमित शाह का वो वायरल वीडियो सुनाते हैं। जिसपर विवाद हो रहा है।
गृह मंत्री अमित शाह का यही वो एडिटेड वीडियो है जो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था, जिसमें शाह को ये प्रिजेंट करते हुए दिखाया जा रहा था कि उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो वो SC-ST और ओबीसी के ‘असंवैधानिक आरक्षण’ को खत्म कर देगी।
वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि तेलंगाना कांग्रेस ने एक एडिटेड वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जो पूरी तरह से फर्जी है और इससे हिंसा होने की संभावना है।
अमित शाह के एडिटेड वीडियो से उठा विवाद छत्तीसगढ़ की सियासत भी अछूता नहीं रहा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय X पर लिखा अपनी बुरी हार सामने देखकर कांग्रेस अब कोई भी स्तरहीन हथकंडे अपनाने से बाज नहीं आ रही। दशकों तक आदिवासियों, अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग के लोगों को ठगती रहने वाली, वंचित समूहों का शोषण करने वाली कांग्रेस अब फिर से आरक्षण के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रही है।
सत्तारूढ बीजेपी ने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए दावा किया कि बीजेपी सरकार कभी आरक्षण खत्म नहीं करेगी। तो जवाब में कांग्रेस ने चुनौती दी है कि अगर बीजेपी आरक्षण के पक्ष में है। तो राजभवन में बीते दो सालों से अधिक समय से लंबित आरक्षण संसोधन विधेयक पर राज्यपाल का हस्ताक्षर कराकर इसे लागू करना चाहिए।
बहरहाल 7 मई को होने वाली तीसरे चरण की लड़ाई से पहले आरक्षण के मुद्दे को फिर से हवा दी जा रही है। अमित शाह के एडिटेड वीडियो ने इस आग में घी का काम किया है. अब बड़ा सवाल है कि इस विवाद से किसका नफा- नुकसान होता है।