#SarkarOnIBC24 : कांकेर में इस बार कांटे की टक्कर, मतदाताओं को रिझाने में जुटे प्रत्याशी, क्या इस बार अपना जलवा बिखेर पाएगी कांग्रेस?

कांकेर में इस बार कांटे की टक्कर, मतदाताओं को रिझाने में जुटे प्रत्याशी : This time there is a tough fight in Kanker, candidates are busy in wooing the voters.

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  • Publish Date - April 17, 2024 / 12:11 AM IST,
    Updated On - April 17, 2024 / 12:37 AM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट बीजेपी के मजबूत गढ़ों में से एक है, जहां इन दिनों धर्मांतरण और राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी है। ये सीट कभी बस्तर जिले का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन साल 1998 में इसे बस्तर से अलग कर दिया गया। तभी से बीजेपी इस सीट पर अंगद के पाँव की तरह जम गई है। बीजेपी के इस दुर्ग को भेदने के लिए कांग्रेस बेताब है। खास बात ये है कि कांकेर सीट के समीकरण इस बार अलग बताए जा रहे हैं, जिससे कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़े मुकाबले के आसार हैं।

छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ होने के बावजूद उसने मौजदा सांसद मोहन मंडावी का टिकट काटकर अंतागढ़ से विधायक भोजराज नाग को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के बीरेश ठाकुर से है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर धर्मांतरण और राष्ट्रवाद को लेकर बहस गरम है, जिसे भुनाने में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ रही। बात अगर इस सीट के मौजूदा सियासी समीकरण की करें तो इस सीट में आने वाले 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 पर कांग्रेस का कब्जा है। साल 1996 तक इस निर्वाचन क्षेत्र पर कांग्रेस का प्रभाव रहा। कांग्रेस के अरविंद नेताम पांच बार सांसद रहे, लेकिन 1998 में अलग जिला बनने के बाद से ये बीजेपी का गढ़ बन गई। कांकेर की 51% आबादी आदिवासी है। 44 फीसदी OBC वोटर और सामान्य वर्ग के वोटरों का प्रतिशत 5 फीसदी है।

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यही वजह है कि यहां जातिगत समीकरण काम नहीं करते, लेकिन धर्म का मुद्दा हावी है और बीजेपी इसे भुनाकर लगातार चुनाव जीतती आ रही है। वहीं बीजेपी का गढ़ होने के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। जब बीजेपी प्रत्याशी मोहन मंडावी सिर्फ 1 फीसदी वोटों के अंतर से चुनाव जीत पाए थे, उन्हें 5 लाख 46 हजार 233 वोट मिले जो उन्हें मिले वोटों का 47.1 प्रतिशत था। वहीं कांग्रेस के बीरेश ठाकुर को 5 लाख 39 हजार 319 वोट मिले थे, जो उन्हें मिले वोटों का 47 फीसदी था।

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महज एक फीसदी वोट के अंतर से मिली जीत के चलते बीजेपी ने मौजूदा सांसद मोहन मंडावी का टिकट काटकर भोजराज नाग को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को ही रिपीट किया है। कांकेर लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। पिछले चुनाव के नतीजों का बारीकी से विश्लेषण करें तो साफ है कि कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। हार जीत के अंतर को महज 1 फीसदी तक सीमित कर दिया था। ऐसे में कांग्रेस का दांवा इस सीट पर कमजोर नहीं माना जा सकता। बहरहाल अंतिम परिणाम क्या निकलता है ये तो जनता की अदालत में ही तय होगा।

 

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