नई दिल्ली: Swati Maliwal narrated her ordeal राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ दिल्ली के सीएम हाउस में जब से कथित मारपीट की खबर सामने आई है। तब से इसे लेकर कई तरह के सवाल हैं जो हवा में तैर रहे हैं। आम आदमी पार्टी स्वाति मालीवाल को बीजेपी का मोहरा करार दे रही हैं। तो स्वाति मालीवाल सोशल साइट X के जरिए अपना पक्ष रख रही थी। लेकिन गुरूवार को उन्होंने चुप्पी चोड़ी और एक इंटरव्यू के जरिए 13 मई को हुई घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया और आम आदमी पार्टी के नेताओं पर गंभीर सवाल खड़े किए।
Swati Maliwal narrated her ordeal दिल्ली शहर को यूं तो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। लेकिन अगर दिल्ली के सीएम आवास में ही किसी महिला के साथ जमकर मारपीट हो जाए तो भला इस पर कौन यकीन करेगा। महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और सांसद स्वाति मालीवाल ने जब ये आरोप लगाया तो पूरा देश सन्न रह गया। बीजेपी के आम आदमी पार्टी पर आरोप और आप के स्वाति मालीवाल को बीजेपी का एजेंट करार देने के बीच मालीवाल ने घटना के ठीक 10 दिन बाद अपनी चुप्पी तोड़ी और पहली बार मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा।
स्वाति के आरोपों से घिरी आप ने अपने बचाव के लिए 13 मई का एक वीडियो जारी किया था। जिसमें कुछ सवालों के जवाब मिले थे तो कई सवालों पर धुंध की परत छाए रही। स्वाति के मुताबिक आप ने आधी अधूरी वीडियो क्लिप जारी कर आधा सच सबके सामने रखा।
जब से ये घटना सामने आई थी। सीएम अरविंद केजरीवाल की भूमिका को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे थे। केजरीवाल लंबे समय तक चुप्पी साधे रहे। हालांकि अब उन्होने इस मामले की निष्पक्ष जांच की बात कही है। दूसरी ओर स्वाति का साफ कहना है कि अरविंद केजरीवाल आरोपी विभव को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के लिए अब ये मामला गले की फांस बनता जा रहा है। दिल्ली पुलिस की जांच के तार केजरीवाल के परिवार से जुड़ गए हैं। दिल्ली पुलिस गुरूवार को केजरीवाल के माता पिता से पूछताछ करने वाली थी। हालांकि पुलिस नहीं पहुंची। अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर चुनाव के बीच इमोश्नल कार्ड भी खेला अपने माता-पिता के साथ एक वीडियो X पर शेयर किया और पूछा कि क्या आपको लगता है कि उन्होंने कोई गुनाह किया है।
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दिल्ली में 25 मई को मतदान है। साफ है कि मौसम चुनावी है। बीजेपी और आप एक दूसरे पर बढ़त बनाने के लिए साम-दाम दंड भेद जो भी रास्ता ठीक लग रहा है उसे आजमाने से परहेज नहीं कर रहे। हालांकि दिल्ली की जनता इस बारे में क्या सोच रही है। फिलहाल अंदाजा लगाना मुश्किल है। शायद दिल्ली के लोग मतदान के जरिए ही अपना फैसला सुनाना पसंद करेंगे।