The Big Picture With RKM: मोहन भागवत ने नागपुर में क्लास लगाकर दिल्ली को पढ़ाया पाठ? पांच बातों में छिपे कई बड़े संदेश...जानें |

The Big Picture With RKM: मोहन भागवत ने नागपुर में क्लास लगाकर दिल्ली को पढ़ाया पाठ? पांच बातों में छिपे कई बड़े संदेश…जानें

The Big Picture With RKM: जो बिग पिक्चर मुझे समझ में आई वो पांच लोगों के लिए मुख्य था। एक संदेश पीएम मोदी के लिए था, एक भारतीय जनता पार्टी के लिए था, एक विपक्ष के लिए था, संसद के लिए था और जो नई सरकार बनी है उसके लिए था अब मैं आपको बताता हूं कि पांच संदेश उन्होंने किस तरीके से दिए।

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Modified Date: June 12, 2024 / 12:11 AM IST
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Published Date: June 12, 2024 12:11 am IST

The Big Picture With RKM:  रायपुर। चुनाव के नतीजों और सरकार की शपथ के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के कार्यक्रम में राजनीतिक दलों को कई सियासी संदेश दिए हैं इसमें विपक्षी दलों के साथ-साथ भाजपा को भी संदेश दिया गया है। मोहन भागवत के इस बयान के क्या मायने हैं ? आइए समझते हैं।

मोहन भागवत ने तो नागपुर में क्लास लगाई थी लेकिन पाठ उन्होंने दिल्ली को पढ़ाया और यह जो उनकी जो क्लास थी या जो उनका संबोधन था एक्चुअली कार्यकर्ता का अभ्यास वर्ग एक होता है, यह एक एनुअल कैंप होता है, जिसमें हर साल संघ के स्वयंसेवकों को एक ट्रेनिंग दी जाती है। उसके समापन के समारोप पर वो उसको संबोधित कर रहे थे लेकिन जो उनका संदेश था, जो मेरे हिसाब से जो उसमें जो मुझे बिग पिक्चर समझ में आई वो पांच लोगों के लिए मुख्य था। एक संदेश पीएम मोदी के लिए था, एक भारतीय जनता पार्टी के लिए था, एक विपक्ष के लिए था, संसद के लिए था और जो नई सरकार बनी है उसके लिए था अब मैं आपको बताता हूं कि पांच संदेश उन्होंने किस तरीके से दिए।

सबसे पहले जो संदेश अगर नरेंद्र मोदी जी के लिए था तो अगर आपने उनका भाषण सुना तो उसमें उन्होंने यह कहा कि जो सेवा करता है या जो सेवक है वो कभी अहंकार नहीं पालता, वो कभी यह नहीं कहता कि मैंने किया । जो व्यक्ति मैं से ऊपर उठ जाता है, वही सेवक कहलाने का अधिकारी होता है। यह बात उन्होंने क्यों कही क्योंकि मैं चुनाव के समय जब दो या तीन राउंड हुए थे उसके बाद एक आरएसएस के बड़े उच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई थी। तब उनका जो कहना था, जो उनका मुझे सेंस समझ में आया कि बीजेपी की जो पूरी कैंपेन थी वह मोदी जी के ऊपर सेंट्रिक थी। जो मोदी सरकार के नाम से चलाई जा रही थी और जो मोदी के केंद्र में रख के की जा रही थी वह आरएसएस को पसंद नहीं थी। क्योंकि हमने यह देखा है और हम जानते हैं कि जो आरएसएस है वो व्यक्ति परक आचरण को प्राथमिकता नहीं देता वो किसी एक व्यक्ति को हीरो बनाकर आगे चलने में उसका विश्वास नहीं है। वह संगठनों को महत्त्व देता है। देखिए उसके कितने सारे संगठन हैं, उनके अलग अलग क्षेत्रों में इतने अनुषांगिक वर्ग हैं, जिन पर वो काम करते हैं। तो यह बात उनको पसंद नहीं थी कि जो सरकार का पूरा कैंपेन जो लड़ा जा रहा है वो एक व्यक्ति को केंद्र में रखकर लड़ा जा रहा है। और वो जितने भी चीजें कही जा रही हैं वो उन्हीं के नाम के हिसाब से कही जा रही हैं। तो यह पहला संदेश उन्होंने मोदी के लिए दिया और जब चुनाव के बाद देखिए क्या स्थिति हुई हमने देखा कि जब सीटें कम आई तो किस तरीके से वो मोदी सरकार से एनडीए सरकार की तरफ वो मोदी के भाषणों में यह बात आने लगी तो एक ये यह बात उन्होंने संदेश दिया है कि अहंकार किसी के लिए भी ठीक नहीं है।

जो दूसरा संदेश था वह भारतीय जनता पार्टी के लिए था। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से चुनाव लड़ा गया जिस तरीके की भाषा का उपयोग हुआ कोई भी मर्यादा का पालन नहीं किया गया। उनका कहना था कि ये चुनाव है कोई युद्ध नहीं है यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो कि हर पांच साल बाद आती है क्योंकि सरकार चुननी है इस देश को चलाने के लिए, तो उसमें भाषा का इस्तेमाल इस तरह का होना चाहिए जिससे कि मर्यादा बनी रहे। समाजको बांटने वाली बातें नहीं होनी चाहिए। असत्य बातें नहीं बोलनी चाहिए, झूठ का इतना प्रचार प्रसार नहीं होना चाहिए। जो भी चीज हो जो भी मुद्दे हो वो एक मर्यादा में
रहकर कहना चाहिए। हमने अध्यक्ष की बात भी सुनी जो बीजेपी के थे कि आरएसएस उनके साथ है कि नहीं उन्होंने कहा आरएसएस को भी बीच में घसीट लिया तो ये जो सारा आचरण था उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने यह संदेश बीजेपी के लिए भी दिया।

तीसरा संदेश जो था वो विपक्ष के लिए था जो कि उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष नहीं मानता मैं प्रतिपक्ष कहता हूं क्योंकि कोई विरोधी हो सकते हैं लेकिन वह आखिरकार अंत में अगर यह देश तो सबको मिलकर ही चलाना है। वह भी इसी देश में है, हम भी इसी देश में हैं अगर हमको यह देश चलाना है तो सबको साथ आना पड़ेगा और सहमति बना के चलेंगे। जो भी मुद्दे हैं और अगर सहमति नहीं बन सकती क्योंकि आपस में अगर लड़ रहे हैं तो इसीलिए बहुमत की बात कही गई है तो उन्होने कहा कि विपक्ष भी जिस तरह की बातें कर रहा था वो भी उचित नहीं है। आखिर किस किस चीज के लिए चुनाव हो रहे हैं? किस चीज के लिए लड़ाई पूरी हो रही थी? स्पर्धा हो रही थी देश चलाने के लिए हो रही थी देश की सरकार बनाने के लिए हो रही थी कोई जीतेगा कोई हारेगा अंत में तो सबको मिलकर ही सरकार चलानी है तो यह संदेश उन्होने विपक्ष को दिया। क्योंकि आरएसएस एक ऐसा संगठन अपने को मानता है कि वो अलग है और अलग केवल समाज की सेवा के लिए काम करते हैं किसी पार्टी से मिले-जुले नहीं है तो उनका यह संदेश उनके लिए भी था।

एक संदेश उन्होंने संसद के लिए भी दिया क्योंकि जिस तरीके से हमने देखा कि पिछले सालों में संसद में किस तरीके से पार्टियों का आचरण रहा है हम इतने नेताओं को चुन के भेजते हैं और वहां पर किसी का संवाद नहीं हो पाता, डिबेट नहीं हो पाती, नेता लोग विचार नहीं रख पाते, कितने नेताओं ने हमसे बात की कि वहां वह कैसी तैयारी करके गए लेकिन कभी विपक्ष ने गड़बड़ कर दी कभी पक्ष वालों ने गड़बड़ कर दी। तो उन्होंने कहा कि देखिए इस देश में अगर कोई चीज होनी है तो एक एक डिबेट होनी चाहिए अच्छी होनी चाहिए मत और सहमति होना चाहिए क्योंकि एक विचार अगर पक्ष की तरफ से आएगा तो एक उसमें कुछ रह जाए तो वह दूसरा विचार प्रतिपक्ष की तरफ से आना चाहिए उसी तरीके से मिलकर संसद में काम होना चाहिए क्योंकि यह बात पिछले खासकर पिछले पांच सालों में जो सरकार रही उसमें कितना हमने देखा कि डिस्टरबेंस हुआ। तो यह उन्होंने संदेश संसद के लिए भी दिया था। जिसको 18 जून से आहूत होना है।

सबसे अंत में जो उनका एक बड़ा संदेश था वह सरकार के लिए था उनका यह कहना था कि मणिपुर में जिस तरीके से आग लगी हुई है जो मुद्दे को सुलझाया नहीं जा रहा है उसको कौन सुलझाएगा? उसका हल कौन करेगा? उसको प्राथमिकता पर लेकर क्यों हल नहीं किया जा रहा तो नई सरकार से उनकी ये अपेक्षा थी। आपको ये पता होना चाहिए कि जो आरएसएस है, वो नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में बहुत भारी तरीके से काम करते हैं वहां पर इनके बहुत स्कूल चलते हैं। इनका बहुत काम है ट्राइब्स को अपने साथ जोड़े रखने के लिए। तो ये सारी समस्याएं आरएसएस भली भांति जानता है। उनकी ये शिकायत थी सरकार से कि उसको प्राथमिकता पर लेकर मणिपुर की समस्या को क्यों नहीं सुलझाया जा रहा।

दूसरी बात उन्होंने पर्यावरण को लेकर कहा उन्होंने देखा कि देश में कितनी गर्मी पड़ रही है बैंगलोर जैसे शहर में पानी की कमी है। बोले इन समस्याओं के ऊपर कौन ध्यान देगा? ये भी सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए। तीसरा उन्होंने कहा कि जो टेक्नोलॉजी है ये अच्छी बात है कि नई तकनीक आए लेकिन इस टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग ना हो इसको कौन इंश्योर करेगा? उन्होंने हालांकि इसको चुनाव से जोड़ा था कि किस तरीके से झूठे वीडियो आ रहे थे जिसको कि हम डीप फेक वीडियो कहते हैं या एआई जनरेटेड वीडियो कहते हैं, तो उनका कहना था कि तकनीक अच्छी है, अच्छी बातें आनी चाहिए लेकिन जो इसका दुरुपयोग है ये इनको रोकने में भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए तो यह सारे उन्होंने इस तरीके के मैसेज जो उन्होंने दिए, जिसको मैं भागवत की क्लास बोल रहा हूं।

मैंने अभी जैसे आपको बताया कि एक आरएसएस के बड़े नेता से जो मेरी मुलाकात हुई थी तो वे लोग बहुत ज्यादा बीजेपी की कैंपेन से खुश नहीं थे और उस समय उन्होंने मुझे एक अंक बताया था, उन्होने मुझे कहा था कि देखो 250 से 300 के बीच से ऊपर हमको नहीं लगता है और आप देखिए कि स्थिति वही हुई तो यह बात सही है कि संदेश कोई भागवत जी ने कोई नाम लेकर किसी को संदेश नहीं दिया। आरएसएस कभी ऐसा करता भी नहीं है कि कोई सीधे-सीधे संदेश दे या पब्लिकली कहे। लेकिन जो बात उन्होंने कही उसमें से हम यह बात निकाल सकते हैं कि यह संदेश किसके लिए है।

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