Returning Officers: इन दिनों देशभर में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में चार चरणों के मतदान पूरे हो चुके हैं। इस बार लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न होगा। हर चरण के कुछ दिनों पहले प्रत्याशी लोकसभा सीट के लिए निर्धारित पीठासीन अथवा रिटर्निंग अधिकारी के दफ्तर में जाकर अपना नामांकन दस्तावेज जमा करते हैं। चुनाव के दौरान आपने ऐसी अनेक तस्वीरें देखी होंगी जिसमें राजनेता एवं प्रत्याशी नामांकन दाखिल करने पहुंचे होते हैं। लेकिन नामांकन संबंधी दस्तावेज स्वीकारते समय रिटर्निंग अपनी सीट पर बैठा ही रहता है। फिर चाहे वो प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, इसलिए रिटर्निंग ऑफिसर बैठे रहते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है यह बहुत कम लोग ही जानते हैं।
दरअसल, रिटर्निंग ऑफिसर एकमात्र ‘लीगल अथॉरिटी’ होता है और उनपर कोई भी आदेश नहीं चला सकता। प्रोटोकॉल के कारण नामांकन प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर अपनी कुर्सी पर बैठे रहते हैं। जिस तरह कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट जज के सामने कितना भी बड़ा राजनेता या मंत्री हो, जज कभी अपनी सीट से खड़ा नहीं होता है। वैसे ही रिटर्निंग अफसर नामांकन के समय कभी खड़ा नहीं होता है। नियमानुसार चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लागू होते ही कोई भी राजनेता या मंत्री हो, उसे वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता है। ये आयोग के स्पष्ट निर्देश होते हैं। उसकी पॉवर को सुप्रीम कोर्ट भी रिप्लेस नहीं कर सकता है। इस नियम की यही गरिमा है।
बता दें कि जनप्रतिनिधि कानून की धारा 21 और 22 के तहत, चुनाव आयोग हर सीट पर एक रिटर्निंग ऑफिसर और एक असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करता है। रिटर्निंग ऑफिसर वो अधिकारी होता है, जिसके ऊपर गजट नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर नतीजे आने के बाद जीते उम्मीदवार को सर्टिफिकेट जारी करने तक की जिम्मेदारी होती है। आमतौर पर सभी रिटर्निंग ऑफिसर कलेक्टर या मजिस्ट्रेट ही होते हैं। रिटर्निंग ऑफिसर ही चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह अलॉट करता है, उनके एफिडेविट पब्लिश करता है, वोटिंग के लिए EVM और VVPAT को तैयार करता है, वोटों की गिनती करवाता है और नतीजे घोषित करता है।
वाराणसी में इस दिन है चुनाव
Returning Officers: वाराणसी लोकसभा सीट पर आखिरी चरण में 1 जून को वोट डाले जाएंगे और इस लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को को घोषित किए जाएंगे। बता दें कि वाराणसी सीट से 2014 में पहली बार पीएम मोदी ने चुनाव लड़ा था। तब उनके सामने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय थे। उस चुनाव में केजरीवाल को 2.09 लाख और अजय राय को 75 हजार वोट मिले थे।