नई दिल्ली: Lok Sabha Chunav 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान हर पार्टी के नेता अपनी-अपनी बात अपने-अपने तरीके से लोगों तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन इस दौरान कई बार सियासी बयान विवाद का विषय बन जाते हैं। राजनीतिक दल अपने सियासी नफा नुकसान के लिए न्यायपालिका को भी कठघरे में खड़ा कर देते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसे कई बयान दिए गए हैं जिसने सीधे-सीधे न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ मामलों में तो सीधे सीधे कोर्ट की तरफ से भी जवाब दिया गया है। ऐसे में सवाल है कि आखिर क्यों ‘ज्यूडिशियरी पर बार-बार हमले हो रहे हैं और ‘न्याय’ पर लगातार सियासत हो रही है।
Lok Sabha Chunav 2024 कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने ये बात हरियाणा के पंचकुला में कही, यहां वे ‘संविधान सम्मान सम्मेलन’ नाम के एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बीच तुलना करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि एक आदिवासी सीएम अभी भी सलाखों के पीछे है।
दरअसल ये कोई पहला मामला नहीं है जहां न्यायपालिका पर सीधे सवाल उठाए गए। इस कड़ी में विपक्ष के साथ-साथ सत्ताधारी दल के नेता भी शामिल हैं। हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने के मामले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि केजरीवाल को जमानत देना एक सामान्य निर्णय नहीं था, शाह ने कहा कि देश के कई लोगों का मानना है कि केजरीवाल को विशेष तरजीह दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने में हमने वही किया जो हमें न्यायोचित लगा।
उधर पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के OBC प्रमाण पत्र को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर ममता बनर्जी भी भड़क गईं। ममता बनर्जी ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कोर्ट का आदेश नहीं मानूंगी और राज्य में ओबीसी आरक्षण लागू रहेगा।
ममता बनर्जी के इस बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया है। कांग्रेस और टीएमसी तुष्टिकरण के बिना एक दिन भी नहीं चल सकती, धर्म के आधार पर आरक्षण देने वाली CM को मुख्यमंत्री रहने का अधिकार नहीं।
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इधर मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ बीजेपी नेताओं ने भी मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर ममता को कठघरे में खड़ा किया। सियासी फायदे और वोटबैंक की सियासत के लिए राजनीतिक दल न्यायपालिका पर सवाल उठाने से भी गुरेज नहीं करते। ये लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत घातक है, क्योंकि देश में आम लोगों का न्यायपालिका पर बहुत भरोसा है और ये भरोसा हमेशा मजबूत रहना चाहिए।