लखनऊः Muzaffarnagar Lok Sabha seat देश में लोकसभा चुनाव के लिए कल पहले चरण के तहत 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। वोटिंग के चलते अभी से सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद कर दिया गया है। वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने भी सभी तैयारियां कर रखी हैं। उत्तर प्रदेश की आठ सीटों में भी शुक्रवार को वोट डाले जाएंगे। इनमें मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट भी शामिल है। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के लिए 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इनमें भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ। संजीव बालियान, सपा से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक और बसपा से दारा सिंह प्रजापति चुनाव लड़ रहे हैं। राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी सत्य से कविता पुंडीर, जय समता पार्टी से नील कुमार, विशाल जनता पार्टी से बीरबल सिंह चुनाव मैदान में है। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अंकुर, मनुज वर्मा, रेशू शर्मा, शशिकांत और सुनील त्यागी चुनाव लड़ रहे हैं।
Muzaffarnagar Lok Sabha seat मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर करीब 16 लाख वोटर्स हैं। इनमें पुरुष वोटर 875186 और 713297 महिला वोटर हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 69.7 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में इस सीट पर NOTA को 4739 वोट गए थे। इस सीट पर 27 फीसदी मुस्लिम वोटर मौजूद हैं। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इसी सीट पर लगभग 17 लाख के आसपास मतदाता है। जिसमें लगभग 5 लाख मुस्लिम, 2 लाख दलित, डेढ़ लाख जाट, 130000 कश्यप, 120000 सैनी, 115000 वैश्य और लगभग 480000 ठाकुर ,गुर्जर, त्यागी,ब्राह्मण, पाल, प्रजापत, सुनार और अन्य बिरादरियां हैं। अगर हम बात उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट की करें तो यह सीट 2013 दंगे के बाद से उत्तर प्रदेश की मुख्य सीटों में गिनी जाती है क्योंकि 2013 दंगे के बाद 2014 में जो लोकसभा के चुनाव हुए थे उसमें भारतीय जनता पार्टी ने सभी पार्टियों का एक तरफ सुपड़ा साफ कर दिया था।
मुजफ्फरनगर लोकसभा (Muzaffarnagar Lok Sabha) सीट सियासी उठापटक के लिए हमेशा महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और केंद्रीय मंत्री रहे चौधरी अजीत सिंह जैसे जाट नेता भी परास्त हो चुके हैं। चौधरी चरण सिंह 1971 में जब लोकसभा चुनाव हारे तब तक वह देश के प्रधानमंत्री तो नहीं बने थे, लेकिन प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रह चुके थे। चौधरी चरण सिंह के सामने कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार न उतारते हुए सीपीआई के ठाकुर विजय पाल सिंह को समर्थन की घोषणा की थी, जबकि चौधरी चरण सिंह विरोधी खेमे को भी उकसाया था। कांग्रेस की इसी व्यूह रचना ने चौधरी चरण सिंह को चित कर दिया था और वो ठाकुर विजय पाल सिंह से 50 हजार से अधिक मतों से हार गए थे।
2014 में उत्तर प्रदेश में चली भारतीय जनता पार्टी की लहर का असर मुजफ्फरनगर में भी देखने को मिला था। संजीव बालियान ने इस सीट पर करीब 60 फीसदी वोट हासिल किए थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार कादिर राणा को सिर्फ 22 फीसदी वोट ही हासिल हुए थे। संजीव बालियान ने कादिर राणा को करीब 4 लाख वोटों से हराया था।
Muzaffarnagar Lok Sabha seat 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने एक बार फिर से डॉक्टर संजीव बालियान पर अपना दांव लगाया था। इस बार संजीव बालियान के सामने राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अजीत सिंह थे। इस चुनाव में भी संजीव बालियान ने जीत हासिल करते हुए स्वर्गीय अजीत सिंह को 6,526 वोट से हराकर यह चुनाव जीता था। इस चुनाव में डॉक्टर संजीव बालियान को 5,73,780 वोट मिले थे जबकि स्वर्गीय अजीत सिंह को 5,67,254 वोट मिल पाए थे।