नई दिल्लीः सत्ता के फाइनल के लिए मैदान सज चुका है। चुनावी बिसात पर घात-प्रतिघात भी तेज हो चली है। इस बीच ऐन चुनाव से पहले एक बार फिर भगवान राम की एंट्री हो गई है, जिसे लेकर मोदी और विरोधी फिर आमने-सामने हैं। दरअसल रविवार को बिहार के नवादा में एक चुनावी सभा में पीएम मोदी ने इंडिया गठबंधन पर निशाना साधते हुआ कहा कि कांग्रेस और आरजेडी ने पहले राम मंदिर निर्माण का विरोध किया। जब मंदिर बन गया तो रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इंकार किया। राम नवमी आने वाली, ऐसा पाप करने वालों के भुलिएगा नहीं।
बिहार की धरती पर पीएम ने राम मंदिर और रामनवमी को लेकर INDIA गठबंधन पर हमला किया तो विपक्ष की तरफ से जवाब आया कि हम सनातनी हैं या नहीं, किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं, बीजेपी वाले खुद को भगवान न समझें। बिहार में रामनवमी को लेकर सियासी बयानबाजी के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये कहकर नया राग छेड़ दिया कि 19 अप्रैल को मतदान है, 17 अप्रैल को वो दंगा करेंगे।
यानी मिशन 400 पार में जुटी बीजेपी राम लला के प्राण प्रतिष्ठा और राम मंदिर निर्माण को चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी है तो वहीं उसकी रणनीति विपक्षी पार्टियों की इमेज सनातन विरोधी सेट करने की भी है। दूसरी तरफ ऐन चुनाव से पहले बंगाल में ममता बनर्जी ने रामनवमी और दंगा की बात कहकर बीजेपी को काउंटर करने की कोशिश की है। खैर ममता ने रामनवमी कार्ड क्यों खेला? आखिर उन्हें कैसे पता चला कि 17 अप्रैल को दंगा भड़केगा? ये बड़ा सवाल है। वैसे 24 के सियासी रण में राम किसका काम बनाते हैं और किसका बिगाड़ते हैं ये तो आने वाले 4 जून को ही पता चलेगा।