Satna Lok Sabha Chunav 2024: सतना। इस बार देशभर में सात चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं और इसका परिणाम 4 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे। यह भारत में सबसे लंबे समय तक चलने वाला आम चुनाव होगा, जो कुल 44 दिनों तक चलेगा। वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां चार चरणों में होने वाले मतदान के पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होने वाली है। इसमें महाकौशल और विंध्य की 6 लोकसभा सीटें शामिल हैं। वहीं दूसरा चरण 26 अप्रैल में टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद और बैतूल की सीटें शामिल हैं। तीसरा चरण 7 मई में मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल और राजगढ़ में वोटिंग होगी। वहीं चौथा चरण 13 मई में देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन और खंडवा में वोटिंग होगी।
भारतीय जनता पार्टी की ओर से चार बार के सांसद गणेश सिंह मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस ने किला फतह करने का जिम्मा अपने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के कंधों पर दिया है। वहीं अब बहुजन समाज पार्टी ने भी एंट्री मारते हुए नारायण त्रिपाठी को ब्राम्हण कार्ड के तौर पर अपना दांव चल दिया है। लेकिन सतना लोकसभा अनारक्षित श्रेणी की है। इसके बाद भी प्रमुख दलों ने ओबीसी पर ही भरोसा किया है, जिसको ध्यान में रखते हुए बीएसपी ने ब्राम्हण कार्ड चल दिया है। यदि ब्राम्हण और दलितों का गठजोड़ हुआ तो चुनाव किसी भी ओर जा सकता है। इस बार सतना लोकसभा सीट के लिए जबरदस्त मुकाबला होगा।
नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से अलग हुए और नई पार्टी विंध्य जनता से विधायकी का चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में नारायण का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। हालांकि उसके बाद भी नारायण के समर्थकों में कोई कमी नहीं आई। लोकसभा चुनाव में जैसे ही उनका नाम बीएसपी ने फाइनल किया वैसे ही उनके समर्थक फिर सक्रिय हो गए है। इस बार कांग्रेस और भाजपा के अलावा बसपा भी मार सकती है बाजी।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में सतना सीट की बात करें तो यहां बीजेपी प्रत्याशी गणेश सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा के बीच कड़ा मुकाबला है। बता दें कि 2023 में विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद भी बीजेपी ने सतना लोकसभा सीट से गणेश सिंह को मौका दिया है। इन्हें हराने वाले सिद्धार्थ कुशवाहा को कांग्रेस ने फिर से उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में सतना लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। गणेश सिंह और सिद्धार्थ कुशवाहा में मुकाबला टफ है। ऐसे में सभी की निगाहें दोनों के बीच मुकाबले पर होंगी क्योंकि सिद्धार्थ ने 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में गणेश सिंह को 70,000 से अधिक वोटों से हराया था।
Satna Lok Sabha Chunav 2024: वहीं अगर इस सीट के इतिहास पर गौर करें तो अब तक यहां 15 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस पांच बार जीती है। इन 15 चुनावों में जहां सात बार पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को जीत मिली, वहीं दो बार अल्पसंख्यक भी चुनाव जीते हैं। यहां कांग्रेस अंतिम बार 1991 में जीती थी, जब अर्जुन सिंह निर्वाचित हुए थे। गणेश सिंह चार बार से सांसद हैं और पांचवी बार चुनावी मैदान में हैं। सिद्धार्थ कुशवाहा के पिता सुखलाल कुशवाहा सतना से बसपा के सांसद रह चुके हैं। सतना संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से पांच पर भाजपा का कब्जा है और दो कांग्रेस के पास है।
सतना लोकसभा सीट की स्थिति पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि यहां पिछड़े वर्ग की बहुलता है। बीजेपी प्रत्याशी गणेश सिंह कुर्मी जाति से आते हैं, वहीं सिद्धार्थ का नाता कुशवाहा जाति से है। इन दोनों ही जातियों के मतदाताओं की संख्या यहां अच्छी खासी है। वहीं इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या ज्यादा नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां पिछड़े वर्ग और उच्च जाति के मतदाता लगभग बराबर की स्थिति में है, ऐसे में दोनों उम्मीदवारों के पिछड़े वर्ग के होने के कारण उच्च वर्ग के मतदाताओं की भूमिका निर्णायक हो सकती है। यह चुनाव गणेश सिंह को विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ के हाथों मिली हार का हिसाब बराबर करने का मौका भी दे रहा है।
सतना सीट में ओबीसी और सर्वण नेताओं के मैदान में आने के बाद अब निर्णायक भूमिका में एससी (SC) और एसटी (ST) वर्ग के वोट रहेंगे। इस वर्ग का वोट जिस दल के साथ रहेगा वही जीत अर्जित करेगा। वहीं पिछले चुनाव में दलित-आदिवासी वोटों के बलबूते सांसद गणेश सिंह ने दो लाख 31 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी। इस बार सतना लोकसभा सीट में 17 लाख 7 हजार 71 मतदाता हैं। सबसे अधिक संख्या में ब्राम्हण मतदाता हैं। इसके बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोट हैं।
Satna Lok Sabha Chunav 2024: सतना लोकसभा सीट हमेशा से ही दिलचस्प रहा है। यहां 2014 के आम चुनाव में BJP के गणेश सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 3,75,288 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के अजय सिंह 3,66,600 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। 1967 में यह सीट कांग्रेस के डी.वी. सिंह के हाथ में थी। 1971 में BJS के नरेंद्र सिंह, 1977 में BLD के सुखेंद्र सिंह, 1980 में कांग्रेस के गुलशेर अहमद, 1984 में कांग्रेस के अजीज कुरैशी, 1989 में BJP के सिखेंद्र सिंह, 1991 में कांग्रेस के अर्जुन सिंह, 1996 में BSP के सुखलाल कुशवाहा, 1998 व 1999 में BJP के रामानंद सिंह, 2004, 2009, 2014 और 2014 में BJP के गणेश सिंह ने यहां कब्जा किया।