देवास: Dewas Lok Sabha Election 2024 देश के 11 राज्यों के 93 लोकसभा सीटों पर 7 मई को मतदान संपन्न हो चुका है। जिसके बाद 13 मई को देश के 10 राज्यों की 96 सीटों पर मतदान होगा। वहीं मध्यप्रदेश में चौथे चरण में देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन, खंडवा की सीटों पर मतदान होने को है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सबसे विश्वसनीय न्यूज चैलन आईबीसी 24 चुनावी कार्यक्रम चुनावी चौपाल का आयोजन किया है।
Dewas Lok Sabha Election 2024 इस चुनावी चौपाल के जरिए सांसदों के प्रदर्शन और क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की बात को लेकर जनता के सामने रूबरू हुई है। आज हम मध्यप्रदेश के देवास लोकसभा सीट पर पहुंचे हुए हैं। हमारी टीम ने देवास लोकसभा सीट पर जाकर वहां के विकास और सांसदों के प्रदर्शन और होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर जनता का मूड जानने ककी कोशिश कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश की देवास लोकसभा सीट राज्य की एक ऐसी सीट रही है, जहां से बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत चुनाव लड़ चुके हैं। यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई। शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म करके बनाई गई देवास लोकसभा सीट पर दो चुनाव हुए हैं, जिसमें से एक में कांग्रेस और एक में बीजेपी को जीत मिली है। इस सीट से 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने वाले बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में आगर सीट से भी जीत हासिल की।
साल 1951 से 2014 तक हुए चुनावों में कई बार बीजेपी रिकॉर्ड वोटों से जीती। इस सीट से कांग्रेस 1951, 1957, 2009 समेत चार बार ही जीत सकी है। वर्ष 1971 से 2004 तक भाजपा ने लगातार 10 चुनाव जीते। जनसंघ व बीजेपी के फूलचंद्र वर्मा के नाम सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रहा है। इन्होंने लगातार 5 बार जीत हासिल की, जबकि मौजूदा केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत 1996 से 2004 तक चार चुनाव इस सीट से जीते।
2009 में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने गहलोत को चुनाव हरा दिया। 2014 में बीजेपी ने फिर इस सीट पर कब्जा कर मनोहर ऊंटवाल ने ढाई लाख वोटों से जीत हासिल की थी। शाजापुर, देवास, सीहोर और आगर जिले की आठ सीटें देवास संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं। इनमें शाजापुर जिले की शाजापुर, शुजालपुर व कालापीपल, देवास जिले की देवास, सोनकच्छ व हाटपिपल्या, आगर जिले की आगर और सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में जातिगत समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस ने भी बलाई समाज के नेता मालवीय को मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने भी महेंद्र सिंह सोलंकी को दूसरी बार मौका देते हुए बलाई समाज को प्रतिनिधित्व दिया है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक दो बार राजेंद्र मालवीय विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।
उन्हें सबसे पहले टिकट इंदौर जिले के सांवेर से विधानसभा का मिला था। इसके बाद दूसरी बार उज्जैन जिले की तराना सीट से राजेंद्र मालवीय ने विधानसभा का चुनाव लड़ा। दोनों ही चुनाव में राजेंद्र मालवीय को हार का सामना करना पड़ा। इस बार पार्टी ने उन पर बड़ा दांव खेला है।
लोगों से हुई चर्चा में अपने सांसद और उनके कामकाज को लेकर आम लोगो की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। यहां की जनता ने बताया कि यहां परिवर्तन बहुत जरूरी है। लंबे समय से यहां एक ही पार्टी है इस बार परिवर्तन की लहर है। वहीं दूसरी जनता का कहना है कि यहां रोजगार की समस्या बहुत है। वहीं जनता का कहना है कि यहां ग्रामीण क्षेत्र में विकास की काफी कमी है।