रायपुरः Hindu-Muslim Politics लोकसभा चुनाव के लिए पांचवे चरण के वोट पड़ने से पहले एक बार फिर देश में हिंदू और मुसलमान को लेकर सियासत तेज हो चली है। भाजपा और कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के बयान इस मुद्दे को लेकर सामने आ रहे हैं। पीएम मोदी अपनी चुनावी सभाओं में मुसलमानों के आरक्षण और संपत्ति को लेकर कई बार कांग्रेस और विपक्षी गंठबंधन पर निशाना साध चुके हैं। इसी बीच अब पीएम मोदी ने एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में इस मामले को लेकर सफाई भी दी। उन्होंने कहा कि मैं हिंदू-मुसलमान नहीं करता। लेकिन जब वे महाराष्ट्र पहुंचे तो एक बार फिर मुसलमानों के आरक्षण और संपत्ति को लेकर कांग्रेस को निशाने पर ले लिया। क्या चैनल पर साक्षात्कार के दौरान पीएम मोदी की सफाई क्या सच में सफाई थी या फिर कोई रणनीति? चलिए समझते हैं:-
Hindu-Muslim Politics यह कितनी इंटरेस्टिंग बात है कि मुसलमान को आरक्षण देने की बात बजट तक पहुंच गई है। यह मेरा यह मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय दो धारी तलवार पर चल रहे हैं। वह एक ऐसी पगडंडी पर चल रहे हैं, जिसकी एक तरफ खाई है और एक तरफ कुआं है। चुनाव के शुरुआत चरणों में जब नीरसता आई तो पीएम मोदी ने इस बात को छेड़ा कि कांग्रेस एसटी-एससी और ओबीसी के आरक्षण को उन लोगों को दे देना चाहती है, जिनके ज्यादा बच्चे होते हैं या इस देश में घुसपैठ किए हैं। कांग्रेस आपकी संपत्ति को ज्यादा बच्चे वालों के बीच बांट देगी। हालांकि कांग्रेस के घोषणा पत्र में कुछ ऐसी ही बात थी, लेकिन इन शब्दों में नहीं थी। भावार्थ कुछ ऐसा ही निकल रहा था। अब जब पीएम मोदी के नामांकन की बारी आई तो एक साक्षात्कार में उनसे पूछा गया कि आप हिंदू-मुसलमान करते हैं क्या? इस सवाल के जवाब में सफाई देते हुए कहा कि मैं हिंदू-मुसलमान नहीं करता हूं। हमारी सरकार की योजनाएं हर वर्ग के लिए है। उसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। सबको उससे फायदा होता है। उन्होने कहा कि मेरी यह कोशिश है कि मेरी जो योजनाएं हैं वह देश के हर नागरिक तक पहुंचे। अगर मैं हिंदू-मुसलमान करने लगा तो राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लूंगा। पीएम मोदी के इस बयान के बाद उनके कट्टर हिंदू वोटर को लगने लगा कि अरे! पीएम मोदी तो ईद पर मुसलमानों के घर जाते हैं। ईद के दिन उनके घर खाना भी नहीं बनता है। वे मुसलमान के बीच बैठकर ईद का खाना भी खाते हैं। वह तो इनका हितैषी बनकर निकल रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी कुछ इसी तरह की प्रतिक्रियाएं देखी गई।
इसके बाद जब पीएम मोदी बुधवार को महाराष्ट्र पहुंचे तो उन्होंने एक नई बात कह दी कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो कांग्रेस ने ऐसा प्रस्ताव दिया था कि जो देश का बजट है उसका 15% केवल माइनॉरिटी के लिए होना चाहिए। बीजेपी और मेरे विरोध की वजह से वह लागू नहीं हो सका। चूंकि महाराष्ट्र हिंदूवादी नेता बाला साहेब ठाकरे का राज्य है। वहां हिंदुत्व की एक अलग लहर दिखाई देती है। ऐसे में उनका ये बयान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अब साक्षात्कार की बात करें तो उस दिन पीएम मोदी ने दो बातें कही। उसमें से एक बात सही है एक गलत है। यह बात बिल्कुल सही है कि जो योजनाएं हैं उसका फायदा हर किसी को मिल रहा है। इसलिए एक नॉरेटिव निकलकर आ रहा था कि जो मुस्लिम महिलाएं हैं, उनको वोट कर रही है। इसी दौरान उन्होंने घुसपैठियों और ज्यादा बच्चों वाली बात की वह मुसलमानों के लिए ही थी, जोकि गलत थी। इस बात पर पीएम मोदी फंस गए और उग्र हिंदू वाले राज्य में जाकर कह दी कि उनके लिए बजट बना रहा है। इसलिए मैंने पहले ही कहा कि मोदी दो धारी तलवार पर चल रहे हैं। एक तो वे चाहते हैं कि हिंदू वोटर उनसे कहीं दूर ना चले जाए और वे यह भी चाहते हैं कि अगर मुसलमानों का एक पक्ष उनको वोट कर रहा है तो वह वोट देता रहे। विपक्षी नेता भी कई बार पीएम मोदी की मदद कर देते हैं और हिंदू-मुसलमान के मुद्दें को ले आते हैं। चाहे वह मल्लिकार्जुन खड़गे हो या प्रियंका गांधी हो बीच-बीच में इस मुद्दें का जिक्र कर देते हैं। मुझे लगता है कि हिंदू-मुसलमान का मुद्दा लोकसभा चुनाव के आने वाले चरणों के दौरान भी बना रहेगा। अगर स्विंग स्टेट में भी हिंदू-मुसलमान का वोट पोलराइज हो जाए तो बीजेपी को फायदा होगा नुकसान नहीं होगा।
हिंदू-मुसलमानों के बीच तो देश में सियासत हो ही रही है, इसके साथ-साथ एक और मुद्दा सुर्खियों में आ गया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के दफ्तर में उन्हीं के पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ अभ्रद्रता की गई। इसके बाद से अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले पर सवाल उठना लाजिमी भी कि देश की राजधानी में वहां मुख्यमंत्री के घर में एक महिला राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ अभद्रता की जाए। स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष भी रह चुकी है, उनके साथ इस तरह की घटना घट जाए और आम आदमी पार्टी के एक बड़े नेता प्रेस कांफ्रेंस करके मान भी जाए कि उनके साथ दुर्व्यवहार और बदतमीजी हुई है और उसके बाद उस पर कुछ एक्शन ना हो तो उसे पर सवाल उठना लाजिमी है। IBC24 के भी उनसे कुछ सवाल है कि अगर आपके हमारे ड्राइंग रूम में कुछ घट जाए और घर मालिक को पता ना लगे ऐसा कैसे हो सकता है? आखिर पूरा सच क्या है? दूसरा सवाल कि ऐसा क्या विवाद था कि मुख्यमंत्री का सचिव राज्यसभा सांसद के साथ बदतमीजी कर दें? तीसरा सवाल कि अगर आपको यह पता है कि विवाद हुआ है तो तीन दिन बाद भी एक सचिव के ऊपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया जा रहा है? चौथा सवाल कि स्वाति मालीवाल उस दिन पुलिस तक गई उसके बाद वह फिर से सार्वजनिक मंचों पर क्यों नहीं आई, वह बयान क्यों नहीं दे रही है? उन पर ऐसा क्या दवाब है? और पांचवा स्वाति मालीवाल के पूर्व पति ने जो बयान दिया कि उनको खतरा है, उसमें कितनी सच्चाई है? यह सभी सवाल जनता की ओर से पूछे जाएंगे और हम भी पूछेंगे और उन लोगों से इसका जवाब जरूर आना चाहिए, जो राजनीति में यह कहते हुए आए थे कि वह बहुत ईमानदार हैं और राजनीति में सुचिता और नैतिकता को सामने रखकर चलेंगे। ऐसे दावा करने वालो के साथ ऐसा हो रहा है और जवाब ना आए तो इस पर राजनीति होना लाजिमी है।