नई दिल्लीः देश में नई सरकार चुनने के लिए अब मतदान का दौर शुरू हो चुका है। इसी बीच अब चंडीगढ़ से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां से शिरोमणि अकाली दल के लोकसभा उम्मीदवार हरदीप सिंह ने टिकट मिलने के बाद भी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। उन्होंने इसके लिए आर्थिक कारणों का हवाला दिया है। हरदीप के इस फैसले से अब प्रदेश में सियासत गर्म हो गई है।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, हरदीप सिंह सिंह ने कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्हें पार्टी से कोई समर्थन नहीं मिला और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए धन की कमी का सामना करना पड़ रहा था। बता दें कि तीन बार पार्षद रहे 41 वर्षीय हरदीप सिंह का मुकाबला भाजपा के संजय टंडन और कांग्रेस के मनीष तिवारी से था। हरदीप सिंह के पिता गुरनाम सिंह और उनके भाई मल्कियत सिंह 2006 और 2011 में चंडीगढ़ में पार्षद थे, हालांकि, अपने कार्यकाल के दौरान उन दोनों का निधन हो गया। 2015 में अपने भाई की मृत्यु के बाद, हरदीप ने उनकी काउंसिल सीट संभाली। वह 2016 और 2021 में पार्षद के रूप में भी चुने गए। इसके अलावा, हरदीप सिंह ने वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के रूप में भी काम किया है।
इससे पहले अकाली दल चंडीगढ़ में बीजेपी के साथ लड़ती थी, लेकिन इस बार के चुनाव में अकाली दल ने अकेले उतरने का फैसला लिया और इसी के तहत हरदीप सिंह बुटरेला को मैदान में उतारा गया था। हरदीप सिंह इस सीट पर जोर शोर से प्रचार भी कर रहे थे पर अचानक ही आज हरदीप सिंह ने अपना इस्तीफा देते हुए टिकट लौटाने की घोषणा कर दी। जानकारी दे दें कि इस सीट पर कांग्रेस ने मनीष तिवारी तो बीजेपी ने संजय टंडन को मैदान में उतारा है। अब हरदीप सिंह के मैदान छोड़ने से चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा।