दुर्ग : Durg Lok Sabha Election 2024 : देश भर में लोकसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है। दो चरणों पर मतदान हो चूका हैं और तीसरे चरण के लिए 7 मई को मतदान होना है। 7 मई को छत्तीसगढ़ की हॉट सीटों में से एक दुर्ग लोकसभा सीट पर भी मतदान होगा। छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है। पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था। दुर्ग लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर भाजपा की जीत हुई थी। बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को मात दी थी। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए वर्तमान सांसद विजय बघेल पर भरोसा जताया है, तो वहीं कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है।
दुर्ग लोकसभा लोकसभा सीट में 9 विधानसभा सीट हैं. बता दें कि 2 जिलों दुर्ग और बेमेतरा की 9 सीटें हैं। जिसमें पाटन, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा, साजा ,बेमेतरा और नवागढ़ शामिल है।
दुर्ग लोकसभा सीट की बात करें तो इसका गठन आजादी के बाद हुआ था। आजादी के बाद से इस लोकसभा सीट पर 17 बार आम चुनाव और 1 बार उपचुनाव हुआ है, जिसमें 10 बार कांग्रेस पार्टी और 6 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है। जबकि, जनता पार्टी और जनता दल की एक-एक बार जीत हुई है।
छत्तीसगढ़ में हुए 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दुर्ग लोकसभा की 9 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के ललित चंद्राकर, गजेंद्र यादव, रिकेश सेन, डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, ईश्वर साहू, दीपेश साहू और दयालदास बघेल विजयी रहे। वहीं, कांग्रेस 2 सीटें जीतने में सफल रही, जिसमें भिलाई नगर में देवेंद्र यादव और पाटन में भूपेश बघेल ने जीत हासिल की।
बात करें दुर्ग लोकसभा सीट की तो यहां वर्तमान में भाजपा के विजय बघेल सांसद है। वर्तमान में भाजपा राज्य में सत्ता में है और भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव में की गई घोषणा का लाभ मतदाताओं को मिला है। इसका लाभ लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिलने की उम्मीद है। विजय बघेल पूर्व सीएम भूपेश बघेल के कट्टर विरोधी माने जाते है। इसकी वजह से भाजपा के कार्यकर्ता और पदाधिकारी उत्सुकता से कार्य कर है। भाजपा टेली कालिंग के जरिए लोगो से संपर्क करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी भाजपा का दामन थाम रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस छत्तीसगढ़ की संस्कृति और राज्य को आगे बढ़ाने का कार्य 5 वर्ष की सत्ता में करने का बखान कर रही है और साथ ही महिलाओं को सालाना 1 लाख रुपए देने का वादा कर रही है।
भाजपा इस लोकसभा चुनाव में केंद्र की योजनाओं को जनहित में बता रही है और कांग्रेस शासन में हुए भ्रष्टाचार का बाधाक करते हुए मतदाताओं को रिझा रही है। वहीं भाजपा पीएम मोदी के 10 साल के कार्यकाल को भी गिना रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस भिलाई स्टील प्लांट को निजी हाथ में जाने से रोकना प्रमुख स्थानीय मुदा बता रही है। इसके साथ ही कांग्रेस महिलाओं को सालाना 1 लाख रुपए देने का वादा कर रही है।
आपको बता दें कि दुर्ग लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण काफी मायने रखता है। इस सीट पर खासतौर पर साहू-कुर्मी जाति का दबदबा है। आबादी में साहू समुदाय की सबसे बड़ी हिस्सेदारी लगभग 30-35% है और कुर्मी मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 22% है। इसके अलावा यादव और सतनामी समुदाय भी करीब 15 फीसदी हैं, जो समीकरण को बिगाड़ देते हैं। वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कुर्मी उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें भाजपा के विजय बघेल विजयी रहे थे। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा चंद्राकर कद्दावर नेता चंदूलाल चंद्राकर परिवार से थीं। उनके पिता वासुदेव चंद्राकर विधायक रह चुके हैं।
छत्तीसगढ़ की दुर्ग लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना 1952 में हुई थी। शुरुआती सालों में दुर्ग में कांग्रेस का दबदबा देखने को मिला था। 1952 में कांग्रेस के वासुदेव एस किरोलिकर इस सीट से पहले सांसद बने। इसके बाद के दो चुनावों यानि 1957 और 1962 में मोहन लाल बकलियाल ने चुनाव जीता। इसके बाद 1967 में चौथे चुनाव में विश्वनाथ तामस्कर चुनाव जीते और सांसद बने। इस सीट पर पहली बार 1968 में उपचुनाव हुआ था। जहां चंदूलाल चंद्राकर जीते थे। आपको बता दें कि चंदूलाल चंद्राकर दुर्ग के राजनीतिक इतिहास के कद्दावर नेता हैं। 1971 में चंदूलाल चंद्राकर ने दोबारा इस सीट पर कब्जा किया था। हालांकि, 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में चंदूलाल चंद्राकर हार गए थे। जनता पार्टी के मोहन जैन ने चंदूलाल चंद्राकर को हराया था। हालांकि, इसके बाद 1980 और 1984 में चंदूलाल चंद्राकर ने फिर जीत हासिल की थी।
1989 में कांग्रेस की दूसरी हार और जनता दल की पहली जीत हुई। इस चुनाव में पुरूषोत्तम कौशिक जीते थे। इसके बाद 1990 के दशक में दुर्ग में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली। 1991 में चंदूलाल चंद्राकर ने कांग्रेस के लिए यह सीट हासिल कर ली, लेकिन इसके बाद भाजपा ने लगातार कई चुनाव जीते। ताराचंद साहू ने 1996 में भाजपा को पहली जीत दिलाई थी। इसके बाद ताराचंद साहू 1996 से 2004 तक लगातार जीतते रहे।
2009 में बीजेपी की सरोज पांडे विजयी रहीं और उन्होंने दुर्ग में पार्टी का गढ़ बरकरार रखा। खास बात यह थी कि सरोज पांडे इस सीट से पहली महिला सांसद थीं। हालांकि, 2014 में राजनीतिक पेंडुलम वापस कांग्रेस के पक्ष में आ गया। मोदी लहर में भी ताम्रध्वज साहू ने यहां कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाई।पिछले चुनाव 2019 में यह सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में चली गई। चुनाव में बीजेपी के विजय बघेल विजयी रहे।
दुर्ग लोकसभा सीट के पिछले 3 चुनावों की बात करें तो 2019 के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार विजय बघेल विजयी रहे थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को हराया था। 2014 के चुनाव में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने बीजेपी की सरोज पांडे को मात दी थी। इससे पहले 2009 में बीजेपी की सरोज पांडे ने कांग्रेस के प्रदीप चौबे को 9,954 के मामूली अंतर से चुनावा जीता था।
पार्टी उम्मीदवार वोट वोट %
BJP विजय बघेल 849,374 61.02
कांग्रेस प्रतिमा चंद्राकर 4,57,396 32.86
बसपा गीतांजलि सिंह 20,124 1.45
पार्टी उम्मीदवार वोट वोट %
कांग्रेस ताम्रध्वज साहू 570,687 45.35
BJP सरोज पांडे 5,53,839 44.01
आप विश्व रत्न सिन्हा 17,455 1.39
पार्टी उम्मीदवार वोट वोट %
BJP सरोज पांडे 2,83,170 31.27
कांग्रेस प्रदीप चौबे 2,73,216 30.17
निर्दलीय ताराचंद साहू 2,61,879 28.92