Kanker Lok Sabha Chunav Me Aham Mudde

Kanker Lok Sabha Election 2024 : इस लोकसभा में धर्मांतरण बनेगा बड़ा मुद्दा! ये मुद्दे तय करेंगे भाजपा-कांग्रेस की जीत-हार

Kanker Lok Sabha Election 2024 : आज हम आपको कांकेर लोकसभा सीट का इतिहास और पूरा समीकर बताएंगे। यहां आदिवासियों की आबादी 42% से अधिक है।

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Modified Date: April 24, 2024 / 03:13 PM IST
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Published Date: April 24, 2024 3:13 pm IST

रायपुर : Kanker Lok Sabha Election 2024 : छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बार लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान होगा। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। वहीं 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम सबके सामने आएंगे। छत्तीसगढ़ और देश के अलग-लग राज्यों में कई महत्वपूर्ण सीटें हैं, जिन पर सबकी नजर टिकी हुई है। इन्ही में एक है छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट। आज हम आपको कांकेर लोकसभा सीट का इतिहास और पूरा समीकर बताएंगे। यहां आदिवासियों की आबादी 42% से अधिक है। आदिवासियों का रुख जिसकी ओर जायदा रहा है, उसकी जीत तय हो जाती है। आदिवासीयों के अलावा पिछड़ा वर्ग भी अहम भूमिका निभाते है। पिछड़ा वर्ग के अधिकांश वोट भाजपा के पक्ष में रहते है।

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अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है कांकेर लोकसभा सीट

Kanker Lok Sabha Election 2024 : छत्तीसगढ़ की कांकेर लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीट है। यह सीट 1967 में पहली बार अस्तित्व में आई थी। यहां से फ़िलहाल भाजपा के मोहन मंडावी सांसद हैं। वहीं, इस बार बीजेपी ने भोजराज नाग को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांकेर को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। दरअसल, कांकेर आदिवासी बहुल इलाका है। एसटी सीट होने की वजह से यहां से आदिवासी नेता को ही टिकट दिया जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बिरेश ठाकुर को हराया था। बता दें कि कांकेर लोकसभा में विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। ये सीटें हैं- सिहावा, संजारी बालोद, डोंडी लोहारा, गुंडरदेही, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर और केशकाल।

लोकसभा चुनाव में ये होंगे प्रमुख मुद्दे

कांकेर की जनता इस बार लोकसभा चुनाव में कई मुद्दों पर विचार करके मतदान करने जाएगी। इनमे बेरोजगारी, उद्योग धंधे का ना होना, केर जिला मुख्यालय तक रेल लाइन का ना होना, नक्सल इलाकों मे विकास की गति धीमी होना, शिक्षा और स्वास्थ्य का बड़ा सेंटर ना होना और धर्मान्तरण एक बड़ा मुद्दा है। जाणत्या इन्ही सब मुद्दों को ध्यान में रखकर मतदान करेगी। ये मुद्दे इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की हार-जीत तय कर सकते हैं।

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भोजराज नाग ने सरपंच के रूप में शुरू की राजनीति

भोजराज नाग ने अपने राजनीति की शुरुआत अपने गांव हिमोड़ा के सरपंच के रूप में वर्ष 1992 में की थी। साल 2000 से 2005 तक वे जनपद सदस्य निर्वाचित होने के बाद जनपद पंचायत अध्यक्ष अंतागढ़ रहें। फिर 2009 से 2014 तक जिला पंचायत सदस्य भी रहे। 2007 से 2010 तक जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संगठन मंत्री भी रहे। जनजाति समाज के उत्थान एवं नशा मुक्ति हेतु भोजराज नाग ने निरंतर कार्य किया। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी रहे। 2014 में अंतागढ़ विधानसभा में हुए उप चुनाव में विधायक निर्वाचित हुए थे। लंबे समय से बस्तर क्षेत्र में आदिवासी धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे हैं।

कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर पर दोबारा जताया भरोसा

Kanker Lok Sabha Election 2024 : बीरेश ठाकुर 1989 से कांग्रेस के सक्रिय सदस्य हैं। वे 1995 में भानुप्रतापपुर क्षेत्र से जनपद सदस्य निर्वाचित हुए। साल 2000 में भी एक बार फिर से जनपद सदस्य निर्वाचित हुए। इसी तरह 2010 में भी जनपद सदस्य निर्वाचित हुए और जनपद अध्यक्ष बने। बीरेश ठाकुर साल 2015 के चुनाव में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए और जिला पंचायत के सभापति बनाए गए। इसके बाद उनकी जिम्मेदारियों में इजाफा करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बनाया।

मजबूत दिख रही कांग्रेस

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा की तुलना में मजबूत दिख रही थी लेकिन अंतिम समय में बालोद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा ने खेल बदल दिया था ऐसा कहा जाता है और इस चुनाव में कांग्रेस करीब 7 हजार वोट से हार गई थी। इस बार भी कांग्रेस जायदा मजबूत दिख रही है जिसका कारण आदिवासी समाज ही है। भाजपा प्रत्याशी भोजराज नाग को महाराष्ट्रीयन गोंड बताकर उन्हे बाहरी कहा जा रहा है। इससे कांग्रेस प्रत्याशी को लाभ मिलेगा। भाजपा प्रत्याशी पर कई गंभीर मामले भी है, जबकि बिरेश ठाकुर की छवि साफ छवि के नेता की है।

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भाजपा-कांग्रेस के बीच काटें की टक्कर

बताया जा रहा है कि बीरेश ठाकुर की संगठन में अच्छी पकड़ है। मतदाताओं के बीच बीरेश ठाकुर की सकारात्मक छवि है, यही वजह है कि कांग्रेस ने उन्हें इस सीट से दोबार मौका दिया है। इस बार कांकेर से भोजराज नाग और बीरेश ठाकुर में कांकेर सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है। अब देखना ये होगा की लोकसभा चुनाव 2024 में भोजराज नाग कांकेर सीट पर भाजपा का कब्जा कायम रखते हैं या फिर कांग्रेस के बीरेश ठाकुर भाजपा का किला भेदने में कामयाब होते हैं।

2019 लोकसभा चुनाव मोहन मंडावी ने दर्ज की जीत

Kanker Lok Sabha Election 2024 : 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बिरेश ठाकुर को 6,914 हजार वोटों से हराया था। मोहन मंडावी को 546,233 लाख यानी 47.1 फीसदी वोट मिले थे जबकि बिरेश ठाकुर को 539,319 लाख यानी 47 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे।

2014 में इस दिग्गज ने मारी थी बाजी

बात अगर 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बारे में की जाए तो इस चुनाव में भाजपा के विक्रम उसेंडी ने कांग्रेस प्रत्याशी फूलोदेवी नेताम को 35,158 हजार वोटों से हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में विक्रम उसेंडी को 465,215 तो वहीं फूलोदेवी नेताम को 430,057 लाख वोट मिले थे। इस चुनाव में CPI के रमेश कुमार गावड़े तीसरे नंबर पर रहे थे। गावड़े को 23,482 लाख वोट मिले थे। 2014 में करीब 70 फीसदी वोटिंग हुई थी।

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भाजपा का गढ़ है कांकेर

Kanker Lok Sabha Election 2024 : बता दें कि, कांकेर लोकसभा को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 1998 से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 1998 से 2009 तक सोहन पोटाई लगातार सांसद रहे। 2014 में बीजेपी ने विक्रम उसेंडी ने यहां से चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने यहां से शानदार जीत दर्ज की। वही, 2019 में कांकेर से मोहन मंडावी सांसद बने। इस बार भाजपा ने भोजराज नाग को मैदान में उतारा है।

यहां जानें कब-कब किसने जीता चुनाव

1967-त्रिलोकशाह लाल प्रियेन्द्र शाह -भारतीय जनसंघ
1971- अरविन्द नेताम- कांग्रेस
1977- अघन सिंह ठाकुर- जनता पार्टी
1980-अरविन्द नेताम- कांग्रेस
1984 -अरविन्द नेताम-कांग्रेस
1989- अरविन्द नेताम-कांग्रेस
1991-अरविन्द नेताम- कांग्रेस
1996-छबीला नेताम- कांग्रेस
1998-सोहन पोटाई- BJP
1999-सोहन पोटाई- BJP
2004-सोहन पोटाई – BJP
2009-सोहन पोटाई – BJP
2014-विक्रम उसेंडी – BJP
2019- मोहन मंडावी – BJP

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