रायपुर: Lok Sabha Chunav 2024 कांग्रेसी खेमे में विधानसभा चुनाव के साथ शुरू हुई टूट और बगावत का सिलसिला क्या लोकसभा चुनाव के साथ थम जाएगा। ये सवाल इसलिए क्योंकि प्रदेश कांग्रेसियों के बीजेपी में आने को लेकर प्रदेश को उपमुख्यमंत्री का एक नया दावा, कांग्रेसियों की बैचेनी बढ़ा सकता है। डिप्टी सीएम अरूण साव का दावा है कि कि कांग्रेस में टूट का दौर नगरीय निकाय चुनाव से पहले और तेज होगा। कतार में अभी और कई बड़े कांग्रेसी नेता हैं।
Lok Sabha Chunav 2024 2023 का विधानसभा चुनाव और अब 24 का आम चुनाव, अपने नतीजों के साथ-साथ बल्क में दलबदल के लिए भी याद रखा जाएगा। साल 2023 के विधानसभा चुनाव के वक्त छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बगावत और दलबदल को जो दौर शुरू हुआ, वो अब भी थमता नजर नहीं आ रहा है। कई कांग्रेसी नेताओं-पदाधिकारियों ने विधानसभा सीट का टिकट कटते ही बागी होकर बीजेपी का दामन थामा। फिर कांग्रेस को करारी शिकस्त के बाद तो मानों बगावत का तेज दौर चला। दर्जनों पूर्व विधायकों और पदाधिकारियों ने पूर्व CM भूपेश बघेल को सीधे निशाने पर लिया। ऐसे नेताओं फेहरिस्त काफी लंबी है पूर्व विधायक शिशुपाल सोरी, प्रमोद शर्मा से लेकर पूर्व प्रभारी महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, पूर्व महापौर वाणी राव, पूर्व महिला काग्रेस अध्यक्ष अनिता रावटे, पूर्व जिला अध्यक्ष तुलसी साहू, ओबीसी कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौलेश्वर चंद्राकर, जिला पंचायत अध्यक्ष उषा पटेल, अरुण सिंह चौहान, यनिता यशवंत चंद्रा से लेकर रवि पाण्डेय, राजकुमार साहू, मनोज रात्रे, आलोक पाण्डेय, अजय बंसल, अरुण सिंह जैसे दर्जनों दिग्गज कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। अब प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव के ताजा बयान ने बहस को एक नया एंगल दे दिया है। साव का दावा है कि चंद महीनों में होने जा रहे निकाय चुनावों में कई और कांग्रेसी बीजेपी में नजर आएंगे।
इधऱ, इस डिप्टी सीएम के बयान पर प्रतिक्रिया में PCC चीफ प्रदेश दीपक बैज भी दावे से ये नहीं कह रहे हैं कि अब कोई पार्टी छोड़कर नहीं जाएगा। वो पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर ये कहकर तंज कस रहे हैं कि बागी नेता भाजपा में डिस्पोजल की तरह ट्रीट ही किए जाएंगे जबकि कांग्रेस में वो फ्रंट में रहकर काम करते रहे हैं।
वैसे पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को लेकर जिम्मेदार सीनियर कांग्रेसी ये कहकर भी तंज कस चुके हैं कि बागी हुए नेता यहां भी रिजेक्टेड थे, वहां ही रिजेक्ट होंगे…तो सवाल है क्या पार्टी में बागी नेताओं को लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं है…एक और अहम सवाल 2018 में बीजेपी भी छत्तीसगढ़ में करारी हार झेल चुकी है, लेकिन तब भी वहां ऐसी भगदड़ नहीं रही तो फिर अब कांग्रेस में पार्टी छोड़ने की ये होड़ क्यों ? क्या वाकई और भी बड़े कांग्रेसी बीजेपी में जाने की कतार में हैं?