विवेक पटैया/भोपाल : Characters changed in MP politics मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियों में जबर्दस्त गहमा-गहमी का माहौल है। नेता, प्रत्याशी और कार्यकर्ता एक तरफ जहां चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। वहीं दूसरी ओर MP की सियासत में दबे पांव कई बदलाव हो रहे हैं। कहीं नई पीढ़ी को कमान सौपी जा रही है तो कहीं नेताओं के किरदार बदल गए हैं। खास बात ये है कि बदलाव का ये दौर सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं हो रहा, बल्कि बीजेपी में भी देखने को मिल रहा है। लोकसभा चुनाव के जब परिणाम आएंगे तो उसके नतीजे भी और कई बदलावों की वजह बनेंगे।
Characters changed in MP politics परिवर्तन प्रकृति का नियम है और मध्यप्रदेश की सियासत भी इससे अछूती नहीं है। मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हमने कांग्रेस पार्टी में कई बदलाव देखे। कांग्रेस की कमान जीतू पटवारी को सौप दी गई और उमंग सिंघार नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। वहीं कभी प्रदेश कांग्रेस में शीर्ष भूमिका निभाने वाले पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा और दिग्विजय सिंह राजगढ़ में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन सीटों के नतीजे उनके सियासी भविष्य का फैसला करने वाले हैं।
कांग्रेस में जहां पीढ़िगत बदलाव हुआ तो बीजेपी में नेताओं के किरदार में बड़ा परिवर्तन आया। नरेंद्र सिंह तोमर ने दो दशक से हर चुनाव में अहम भूमिका निभाई। केंद्र सरकार में अहम विभाग संभाले लेकिन आज परिदृश्य से गायब है। प्रहलाद पटेल ने हमेशा केंद्र की राजनीति की लेकिन अब राज्य सरकार में अहम भूमिका के साथ बीजेपी प्रत्याशियों की जिताने में जुटे हैं। कैलाश विजयवर्गीय कभी पश्चिम बंगाल के प्रभारी थे तो आज मध्यप्रदेश तक सीमित हैं। इस चुनाव में छिंदवाड़ा के प्रभारी की जिम्मेदारी संभाली। गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया तो विदिशा से पूर्व सीएम शिवराज लोकसभा की अपनी नई पारी शुरू करने की तैयारी में हैं।
ये सियासत ही है जहां राजा कब रंक बन जाए और कब हाशिये पर पड़े नेता के सिर ताज आ जाए कहना मुश्किल है। सियासी दांव-पेंच और शतरंज की बिसात पर नेताओं की भूमिका बदलती रही है। इस लोकसभा चुनाव के नतीजे भी MP की सियासत में बड़े बदलाव और उठापटक की वजह बन सकते हैं।