रायपुर: CG Lok Sabha Chunav 2024 कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए बस्तर पहुंचे। उम्मीद थी कि राहुल गांधी के उठाए मुद्दे पर चर्चा और वाद-विवाद होगा। लेकिन राहुल गांधी का दौरा शुरू होने से पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए चंद्रशेखर शुक्ला ने लेटर बम फोड़ा। राहुल गांधी के सामने सवालों की फेहरिस्त रख दी। जिसने छत्तीसगढ़ की सियासत में खलबली मचा दी।
CG Lok Sabha Chunav 2024 छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में लंबे अंतराल के बाद जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के सामने अब इस सीट को अपने पास बनाए रखने की चुनौती है। राहुल गांधी इसी कोशिश में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे। लेकिन उनका दौरा शुरू होने से पहले ही कांग्रेस से चंद दिनों पहले बीजेपी में शामिल हुए चंद्रशेखर शुक्ला ने राहुल गांधी के नाम खुल पत्र लिखकर सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है।
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पहला सवाल- झीरम कांड में कवासी लखमा शुरू से संदिग्ध माने गए तत्कालीन PCC चीफ चरणदास महंत ने भी 2013 में लखमा को संदिग्ध माना इसके बाद भी उन्हें पूरी तरह से क्लीन चिट देकर आपने कैंडिडेट क्यों बनाया है?
दूसरा सवाल- क्या आप झीरम के शरीदों को शहीद नहीं मानते, उन्हें न्याय दिलाने कितनी बार आपने संसद में आवाज उठाई?
तीसरा सवाल- झीरम हत्याकांड के जिन सबूतों को जेब में रखने का दावा पूर्व सीएम भूपेश बघेल करते रहें हैं, वो कब सामने आएंगे ? भूपेश बघेल आखिर किसे बचा रहे हैं?
चंद्रशेखर शुक्ला का खुला खत सामने आते ही कांग्रेस ने पलटवार में देर नहीं की। कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि चंद्रशेखर शुक्ला नए-नए बीजेपी में शामिल हुए हैं। ऐसी हरकतों के जरिए वो बीजेपी के प्रति अपनी वफादारी साबित कर रहे हैं।
वहीं वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने चंद्रशेखऱ शुक्ला का बचाव करते हुए कहा कि कांग्रेस में रहते वो इन सवालों को उठाना चाहते थे। लेकिन पार्टी के दबाव में वो ऐसा नहीं कर पाए। कांग्रेस से बाहर आकर वो अब खुलकर अपनी बात रख रहे हैं।
झीरम कांड छत्तीसगढ़ की सियायत की ऐसी दुखती रग है। जिसके जख्म कुरेद-कुरेदकर कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी एक दूसरे के लिए असहज स्थिति पैदा करते रहे हैं। अफसोस इस बात का है कि दो दशक बाद भी इस घटना का पूरा सच आज तक सामने नहीं आया है। इसी के चलते कांग्रेस-बीजेपी एक दूसरे को कटघरे में खड़े करते चले आ रहे हैं। अभी ये कहना मुश्किल है कि झीरम कांड पर सियासत कब थमेगी और पूरा सच कब सामने आएगा। फिलहाल चुनाव नजदीक हैं। लिहाजा इस पर भी राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही हैं।