रायपुरः BJP spent Rs 100 crore in advertising अगर चुनाव जीतना है तो मैदान में ताकतवर नजर आने के साथ वर्चुअल जंग में भी दम लगाना जरूरी है, क्योंकि चुनाव जमीन पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है। चुनावी रणनीति अब चौक चौराहों पर नहीं बल्कि मोबाइल एप पर बन रही हैं। नेताओं की हार-जीत का फैसला अब जमीनी पकड़ के साथ मजबूत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म करता है। इसलिए राजनीतिक पार्टयां भी जमीन के साथ-साथ वर्चुअल वर्ल्ड में भी करोड़ो विज्ञापन पर खर्च कर रही हैं और पिछले 10 साल से सत्तारूढ़ बीजेपी यहां भी अपने विरोधियों पर भारी है।
BJP spent Rs 100 crore in advertising हाल ही जब पीएम मोदी देश के टॉप ऑनलाइन गेमर्स से मिले तो काफी चर्चा हुई। ये वो गेमर्स थे, जिनके लाखों फॉलोअर्स हैं और जब ये गेम्स खेलते हैं तो उनकी लाइव स्ट्रीमिंग यूट्यूब पर होती है, जिसे लाखों-करोड़ों लोग देखते हैं। यानी पीएम ने चुनावी माहौल में इन गेमर्स के जरिए लाखों-करोड़ों युवाओं से जुड़ने का प्रयास किया। ये तो सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे बीजेपी सोशल मीडिया के जरिए जनता या कहें वोटर्स को इन्फ्लुएंस करती है। 400 पार के नारे को सफल करने बीजेपी जमीन के साथ-साथ वर्चुअल वर्ल्ड पर चुनाव लड़ रही है। विरोधियों की मोर्चाबंदी करना हो या फिर लुभावने विज्ञापन देना..हर मोर्चे पर बीजेपी ने बाजी मारी है। आंकड़े इसकी गवाही देते हैं।
गूगल क विज्ञापन ट्रांसपेरैंसी रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी ने गूगल और यूट्यूब पर विज्ञापन के लिए 100 करोड़ खर्च किए। बीजेपी ने कर्नाटक में सबसे ज्यादा 10.8 करोड़ के एड दिया उसके बाद उत्तरप्रदेश के लिए पार्टी ने 10.3 करोड़ के विज्ञापन दिए। इस लिस्ट में 45 करोड़ के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही। हालांकि लोकसभा चुनाव के पहले और दूसरे फेज के दौरान बीजेपी से ज्यादा खर्च कांग्रेस ने किया। कांग्रेस ने जहां 5.7 करोड़ खर्च किए तो बीजेपी ने 5.3 करोड़ का विज्ञापन दिया। कांग्रेस ने भी सबसे ज्यादा विज्ञापन साउथ के राज्यों में दिया। यानी बीजेपी हो या फिर कांग्रेस सोशल प्लेटफॉर्म पर वोटर्स को अपने हक में लामबंद करने पानी की तरह पैसा बहा रही है।
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दरअसल देश में मोबाइल और इंटरेनट यूजर्स की संख्या भारत में 133 करोड़ आबादी में 116 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स हैं। तो 93 करोड़ से ज्यादा लोग इंटरनेट से जुड़े हैं। रिसर्च ये भी कहता है कि भारतीय यूजर्स सोशल मीडिया पर रोजाना औसतन 2.36 घंटे बिता रहे हैं। जिनतक अपनी सीधी पहुंच बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अब जमीन से ज्यादा डिजिटल प्रचार पर फोकस कर रही हैं। मिशन 24 की तैयारियों में जुटी बीजेपी-कांग्रेस डिजिटल सेना को मजबूत करने में जुटी है। विभिन्न प्लेटफॉर्म पर फालोअर्स बढ़ाने बकायदा आईटी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
डिजिटल विज्ञापन के साथ बीजेपी फॉलोर्स के मामले में भी अपने विरोधियों से काफी आगे है। X पर बीजेपी के 2 करोड़ 18 लाख के करीब फॉलोअर्स हैं, तो कांग्रेस के फॉलोर्स की संख्या 1 करोड़ 40 लाख है। बात करें यूट्यूब की तो बीजेपी के पास करीब 51 लाख सब्सक्राइबर्स हैं, जबकि कांग्रेस के सब्सक्राइबर्स 40 लाख हैं..
सोशल मीडिया प्रभारी के अलावा बीजेपी ने व्हट्सएप प्रभारी, ट्विटर प्रभारी , इंस्टाग्राम प्रभारी भी तैनात कर रखें हैं। कुल मिलाकर इस डिजिटल युग जो राजनीतिक पार्टी सोशल मीडिया पर अपने आप को जितना मजबूत करेगी। वो उतनी ज्यादा मजबूती से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में सफल होगी।