Big Picture with RKM: रायपुर। यह कितनी अजीब बात है कि एक राज्यसभा के सांसद को किस नाम से बुलाया जाएं संसद में इस पर बवाल खड़ा हो रहा हैं। उन्हें जया बच्चन, जया अमिताभ बच्चन या जया भादुड़ी? क्या पुकारा जाये? बावजूद इसके कि सदन के सामने बहस के लिए विपक्ष के पास कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। लेकिन बखेड़ा सिर्फ नाम को लेकर है। ज्यादा हैरानी कि बात यह हैं कि यह बखेड़ा कोई नया नहीं हैं बल्कि इस पूरे सेशन में तीन बार इस नाम से जुड़े मुद्दे पर तनातनी देखी जा चुकी है।
अब सबसे पहला सवाल कि यह नाम आया कैसे? तो यह साफ़ हैं कि सदस्य जो नाम अपने नॉमिनेशन फॉर्म में लिखेगा वही नाम राज्यसभा के सभापति के पास पहुंचेगा और फिर उसी नाम सदन में आपको पुकारा जाएगा। ऐसे में अगर जया बच्चन को अपना नाम पसंद नहीं तो यह उनकी खुद की समस्या हैं, न कि राज्यसभा के प्रक्रिया की। बात अगर बवाल कि करें तो पहली बार जब चेयर पर उप सभापति थे और उन्होंने जया बच्चन का नाम अमिताभ के साथ जोड़कर पुकारा था तब उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति जाहिर की थे। उन्होंने आपत्ति जताते हुए पूछा था कि क्या उनकी कोई उपलब्धि नहीं है? तब उप सभापति ने साफ़ किया कि उनके पटल पर जो नाम आया हैं उन्होंने उसके मुताबिक़ ही नाम पुकारा है।
Big Picture with RKM: दूसरी बार जब सभापति जगदीप धनकड़ चेयर पर थे तब उन्होंने भी जया अमिताभ बच्चन कहा। यहां फिर उन्होंने आपत्ति जताई। इस पर जगदीप धनकड़ ने उन्हें बताया कि अगर वह नाम से सहमत नहीं तो वह इसमें संशोधन करा सकती हैं। उन्होंने भी कराया है और इसकी एक प्रक्रिया है। आज जब फिर से उनके उनके नाम से पुकारा गया तो वह सभापति पर भड़क गई और फिर कहा कि वह एक्टर हैं, फेस एक्सप्रेशन और बॉडी लेंग्वेज को समझती है। हालाँकि जगदीप धनकड़ ने किसी भी तरीके से इसे तंज से नहीं लिया था। इस बातचीत के बाद कुछ नोंकझोक भी हुई लेकिन देखते ही देखते इस बातचीत ने गंभीर रूप ले लिया और फिर हंगामे के साथ पूरे विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया। बात इतनी बढ़ी कि यह बखेड़ा अविश्वास प्रस्ताव तक आ पहुंचा। इसके बदले पक्ष ने भी निंदा प्रस्ताव जारी कर दिया। तो यह था आज का पूरा मसला।
Big Picture with RKM: इस तरह देखा जाये तो संसद को हर किसी को संतुलित रहने की जरूरत है। संसद के अपने डेकोरम और संसद में सदस्यों का आचरण कैसा हो यह बहुत महत्वपूर्ण है। राज्यसभा देश का सबसे बड़ा सदन है और आप इस सदन के चुने हुए नुमाइंदे है। आप वहां जनता के मुद्दों पर बहस करते है और पूरा देश आपको देखता है। आप एक आदर्श नेता होते हैं। पर देखा जा रहा है कि इसकी कमी महसूस की जा रही है। यह उचित नहीं। संसद में किसे किस नाम से पुकारा जाये इस पर समय खराब नहीं किया जा सकता। अनेक मुद्दे हैं जिन पर बहस संभव हैं, उन पर विरोध जताया जा सकता है, बहिर्गमन किया जा सकता हैं।