Big Picture with RKM: रायपुर। कितने आश्चर्य की बात है कि जो नेता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजरकर विधायक बने, सांसद बने और मंत्री भी बने वह आज अपने देश के अहित के बारें में सोच रहे हैं। सज्जन सिंह वर्मा और सलमान खुर्शीद वर्षों तक सत्ता में रहे लेकिन आज वह राष्ट्रहित के मुद्दे पर इतने अंधे हो चुके है यह हैरानी की बात है। ऐसा कोई कैसी सोच सकता हैं कि हमारे देश की स्थिति बांग्लादेश की तरह हो जायें, ऐसा कौन चाहेगा कि देशभर में अराजकता फ़ैले, लूट और हत्याएं हो? नेताओं के इन बयानों को समझना मुश्किल है। आखिर यह किस तरह के बयान हैं? आखिर यह नेता लोगों को कैसे उकसा सकते हैं?
हम देखते हैं कि हमारे पड़ोसी मुल्क में शामिल चाहे वह पाकिस्तान हो, अफगानिस्तान हो, श्रीलंका हो या म्यांमार। इन देशों में लोकतंत्र कभी मजबूत नहीं रहा। सत्तापलट का इतिहास इन मुल्कों में काफी पुराना है। सेनाओं का दखल हमेशा से चुनी हुई सरकारों और उनके कामकाज पर रहा हैं। सेना ने कभी जनता के चुने प्रतिनिधियों को स्वतंत्रता से काम करने नहीं दिया है। वे पूरे तंत्र पर कब्ज़ा करते हैं और फिर मनमाने ढंग से सरकारें चलाते हैं। ऐसे एक नहीं दर्जनों मिसालें हैं।
Big Picture with RKM: लेकिन हमारा इतिहास ऐसे किसी भी इतिहास से दूर हैं। भारत में इस तरह की स्थिति कभी न पैदा हुई और न इसके आसार हैं। इसकी सबसे बड़ी और पहली वजह यहां का मजबूत लोकतंत्र और यहां की निष्पक्ष, तटस्थ चुनावी प्रक्रिया है। यहां सरकारें बदलती हैं, पार्टिया बदलती हैं। भारत में कोई दल या नेता हमेशा सत्ता पर काबिज नहीं रह सकता। उन में सत्ता में रहते हुए भी इतनी शक्ति नहीं होती कि वह लोकतंत्र के मूल्यों की अनदेखी कर सके या उन्हें कब्जा सके।
दूसरी वजह हमारी मजबूत संस्थाएं। इन संस्थाओं में मजबूती के साथ संतुलन भी है। फिर वह न्यायपालिका हो या मीडिया। बल्कि लोक सेवा से जुड़े संगठन भी प्रयासरत रहते हैं कि हमारी प्रक्रिया में कभी तानाशाही न आने पाएं। ये लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की न सिर्फ रक्षा करते बल्कि, उन्हें उनके कर्तव्यों और अधिकारों की भी याद दिलाते रहते है। सरकारों के फैसले या कहे उनकी मनमानी पर अक्सर न्यायपालिकाओं में समीक्षा भी होती रहती हैं ताकि हमारी व्यवस्था में किसी तरह का विकार न आने पाएं।
तीसरी सबसे बड़े वजह हमारा संघवाद यानी हमारा फेडरल सिस्टम। राज्यों में बनने वाली सरकारों में विविधता भी हम देखते हैं। ऐसा नहीं होता कि देश की सभी राज्यों मे किसी एक पार्टी या किसी एक नेता की अगुवाई वाली सरकार हो। यहां केंद्र और राज्यों के बीच सरकारों में बदलाव होता रहा हैं। और एक वक़्त जब ऐसी व्यवस्था नहीं थी तब भी देश में अराजकता के हालत पैदा नहीं हुए। भारत में एकाधिकार जैसी स्थिति नहीं रही। जब कभी ऐसे हालत बने तो जनता ने उन सरकारों को उखाड़ फेंका। ऐसी सोच रखने वाले नेताओं, पार्टियों के हाथों से सत्ता की चाबी छीन ली।
Big Picture with RKM: चौथी सबसे बड़ी वजह हैं। हमारी सेना। सेना ने कभी सरकारों से ऊपर रहकर फैसला नहीं लिया। भारतीय सेना ने भारत की सरकारों और उनके फैसलों का हमेशा सम्मान किया। हमने कभी नहीं सुना कि सेना के मन में कभी सरकारों के लिए बगावत आई हो। सैन्य संस्थाओं ने सरकार के फैसलों पर दखल दिया हो। सेना ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों का ख्याल रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि वह देश की, देश के लोगों की और सीमाओं की रक्षा करेगी और सरकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेगी।
तो इस तरह से हम कह सकते हैं कि भारत, भारतीय व्यवस्था, भारत का लोकतंत्र पूरी तरह संतुलित हैं, संप्रभु हैं। कोई भी नेता यहां तानाशाही की हिमाकत नहीं कर सकता। ऐसे में अगर कोई भारत में अराजकता या तख्तापलट जैसी आशंकाओं पर बयान देता हैं तो यह सीधे देश के खिलाफ है। नेताओं को देश के तरक्की और विकास की बात करने चाहिए। हम विकस के रास्ते पर कैसे आगे बढ़ेंगे इसकी योजना बनानी चाहिए। सलमान खुर्शीद और सज्जन सिंह जैसे नेताओं के बयान निंदनीय हैं।