The Big Picture With RKM : दूसरे चरण में BJP ने बदला प्लान ! डिफेंसिव मोड में कांग्रेस, जानिए पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

The Big Picture With RKM: हमें यह समझना है कि पहले और दूसरे चरण में क्या अंतर है? इन मुद्दों के बैकग्राउंड की उन बातों को बताएंगे कि इसके पीछे आखिर क्या चल रहा है।

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  • Publish Date - April 25, 2024 / 11:58 PM IST,
    Updated On - May 1, 2024 / 05:20 PM IST

The Big Picture With RKM :  रायपुर। लोकसभा चुनाव में हमने पहले फेज में देखा जिसमें ऐसा लगा कि यह एकतरफा है। यह एकदम नीरस है, इसमें कुछ जायका नहीं है, कम वोटिंग प्रतिशत के बाद से अचानक से ऐसा क्या हुआ कि हर दिन नए मुद्दे, चर्चा में आते हुए नए विषय दिखाई पड़े। जिससे पूरा चुनाव प्रभावित होते हुए दिखाई पड़ा। अब दूसरे चरण का चुनाव होना है। जिसका काउंटडाउन शुरू हो चुका है। ऐसे में हमें यह समझना है कि पहले और दूसरे चरण में क्या अंतर है? इन मुद्दों के बैकग्राउंड की उन बातों को बताएंगे कि इसके पीछे आखिर क्या चल रहा है।

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पहले फेस से लेकर दूसरे फेस तक नर्मदा और महानदी में काफी पानी बह चुका है। जो चुनाव हमें एकदम नीरस और ठंडा लग रहा था, वह अब एकदम से गरमा गया है और इसके पीछे के तीन कारण हैं। यह चुनाव नीरस इसलिए था क्योंकि बीजेपी ने एक एजेंडा सेट कर दिया था, कि हमें 400 पार करना है। वहीं विपक्ष का मानना था कि हम 400 पार तो नहीं होने देंगे।

दूसरा एक एजेंडा यह भी था कि लोगों का कहना था कि आएगा तो मोदी ही, लेकिन पहले फेस में जब वोटिंग कम हुई, लोग घरों से बाहर निकले नहीं तो एक बात और सामने आई कि जो कांग्रेस का मेनिफेस्टो है, जिसमें ₹100000 देने की बात थी, महंगाई की बात थी, बेरोजगारी की बात थी। वह भी कुछ इट्रैक्शन क्रिएट कर रहा था। वोटिंग कम होना और कांग्रेस के मेनिफेस्टो की बातें लोगों को समझ में आना, इसको लेकर बीजेपी को खासकर प्रधानमंत्री को चौंका दिया कि कुछ गड़बड़ हो रहा है। इसके बाद से ही प्रधानमंत्री ने गियर बदल दिया।

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इसमें तीन बड़ी बातें हैं, उनमें सबसे पहले उन्होंने कांग्रेस के मेनिफेस्टो से ही एक बात उठा, कि देखो कांग्रेस जनता का आर्थिक सर्वे करवाएगी और जिसके पास ज्यादा धन है, यानी आपके घरों का सोना और मंगलसूत्र लेकर वह मुसलमानों में बांट देगी, उन्होंने फिर अपने हिंदू मुसलमान की जो पुरानी ट्रिक है उस पर उतर गए।

दूसरी बड़ी बात यह हुई कि अमेरिका में विरासत टैक्स को लेकर सैम पित्रोदा भी सामने आ गए। इसके बाद से ही विरासत वाली छड़ी मोदी जी ने पकड़ ली और इसको कांग्रेस ने ही पकड़ाया, उसके बाद से लगातार दो दिनों से मोदी जी इस छड़ी से कांग्रेस की जमकर पिटाई कर रहे हैं। इसके बाद कांग्रेस पूरे डिफेंसिव मोड में चली गई।

तीसरी बात यह कि जिस तरीके से राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री जो की एक उम्र दराज व्यक्ति हैं और उनके प्रति जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया वह बहुत अच्छा नहीं था, उसका टेस्ट बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। आप कितने भी विरोधी हो सकते हैं, लेकिन एक प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति और उम्र दराज व्यक्ति के लिए भाषा की मर्यादा होनी चाहिए। यह बात भी लोगों के मन में घर कर गई। उस बात का मेंशन भी पीएम मोदी ने अपनी चुनावी सभा में कर दिया।

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हालांकि कांग्रेस में प्रियंका गांधी और दूसरे नेता डिफेंड कर रहे हैं, वह भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि हम इन चीजों को कहें कि मोदी जी कई बातें गलत बोल रहे हैं, लेकिन प्रति 2 घंटे में मोदी जी की एक सभा हो रही है, ऐसे में पीएम मोदी बराबर उन बातों पर बोल रहे हैं। इन सब बातों ने इस फेस को काफी दिलचस्प बना दिया है। अगर कल हम देखेंगे की वोटिंग ज्यादा होती है लोग ज्यादा वोट करने बाहर आते हैं तो यह बात बीजेपी के पक्ष में जाएगी।क्योंकि अगर ज्यादा वोटिंग हुई तो यह माना जाएगा कि भाजपा के कारण ही ज्यादा वोटिंग हुई है और वह बीजेपी के पक्ष में आ रहे हैं।

चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को दिया नोटिस

वहीं एक अन्य मुद्दे की बात करें तो चुनाव आयोग ने बीजेपी और पीएम मोदी को नोटिस भेजा है। इस बार एक नई चीज हुई है कि नोटिस जो इलेक्शन कमीशन ने दिया है, वह दोनों पार्टी के अध्यक्ष को दिया है। इधर जेपी नड्डा को और मल्लिकार्जुन खड़गे को दिया। क्योंकि उनका यह मानना है कि आप पार्टी के अध्यक्ष हैं और यह आपकी जिम्मेदारी है कि आपका जो स्टार कैंपेनर हैं उनकी भाषा संयमित होनी चाहिए और उनको सोच समझकर बोलना चाहिए। यह उनकी जिम्मेदारी है कि आदर्श प्रस्तुत करें।

इसलिए इस बार इलेक्शन कमीशन ने नोटिस पार्टी अध्यक्ष को दिया है और चुनाव आयोग ने जवाब देने के लिए 29 तारीख तक का समय दिया है। लेकिन यह हर चुनाव में होता है, हर पार्टी अपने दूसरे पक्ष के लोगों की भाषा को लेकर उनकी सोच को लेकर, उनके भाषणों को लेकर, शिकायत करने जाती है लेकिन बहुत ही कम ऐसे केस होते हैं, जिन पर कुछ होता है और होता भी है तो उसमें इतना टाइम लग जाता है कि चुनाव खत्म हो जाते हैं। तो यह एक एकेडमिक एक्सरसाइज है लेकिन इससे चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

आप इन पूरी बातों को नीचे वीडियो में आप देख सकते हैं।